कुल पेज दृश्य

03 अप्रैल 2009

निर्यात और घरेलू मिलों की मांग बढ़ने से कॉटन के भाव सुधरे

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मिलों की मांग बढ़ने से पिछले पंद्रह दिनों में कॉटन के भावों में 2000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) का सुधार आया है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने शंकर-6 किस्म की कॉटन के बिक्री भाव बढ़ाकर 23,000 रुपये प्रति कैंडी कर दिए हैं। जबकि घरेलू मिलों के पास स्टॉक न होने से मिलों की खरीद भी बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पिछले पंद्रह दिनों में कॉटन के भावों में हल्की तेजी तो आई ही है। साथ ही फरवरी-मार्च महीने में देश से कॉटन निर्यात के लिए टैक्सटाइल कमिश्नर के आफिस में लगभग 10 लाख गांठ (एक गांठ -170 किलो) के सौदे पंजीकृत हुए हैं। जिससे भाव में सुधार को बल मिला है। अबोहर स्थित कमल कॉटन ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड के राकेश राठी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सीसीआई द्वारा लगातार भाव बढ़ाकर बिकवाली की जा रही है जबकि मिलों के पास स्टॉक न होने से मिलों की खरीद में पहले की तुलना में इजाफा हुआ है। उत्पादक मंडियों में कॉटन की दैनिक आवकों में भी गिरावट आई है। उधर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कॉटन के भावों में हल्की तेजी देखने को मिली है। अंतरराष्ट्रीय बाजार न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के मार्च वायदा भाव सुधरकर 46.15 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं। 27 मार्च को इसके भाव 43.34 सेंट प्रति पाउंड थे। कॉटलुक इंडेक्स में इस दौरान कॉटन के दाम 52.35 से बढ़कर 54.60 सेंट प्रति पाउंड हो गए। सूत्रों के अनुसार फरवरी और मार्च महीने में कॉटन निर्यात के लिए टैक्सटाइल कमिश्नर के आफिस में 10,34,900 गांठ के सौदे पंजीकृत हो चुके हैं। जबकि अगस्त-08 से जनवरी-09 तक मात्र 9,34,318 गांठ के सौदे ही पंजीकृत हुए थे। अगस्त-08 से मार्च-09 तक कुल 19,69,218 गांठ के सौदे पंजीकृत हो चुके हैं तथा इसमें से 10,11,672 गांठ की शिपमेंट हो चुकी हैं। फरवरी महीने में कुल 4,49,800 गांठ और मार्च महीने में 5,85,100 गांठ के सौदे पंजीकृत हुए तथा शिपमेंट क्रमश: 1,98,412 व 2,61,201 गांठ की हुई है। बांग्लादेश से कॉटन की अच्छी मांग निकल रही है जबकि पाकिस्तान और चीन को भी निर्यात हो रहा है।सीसीआई के सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2007-08 में देश से कॉटन का कुल निर्यात 85 लाख गांठ का हुआ था लेकिन घरेलू बाजारों में कॉटन के भाव तेज होने व अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव घटने से चालू वर्ष में भारत से कॉटन निर्यात में गिरावट आ सकती है। चालू वर्ष 2008-09 में निर्यात घटकर 75 लाख गांठ का ही रहने के आसार है। सीसीआई ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अभी तक 90 लाख गांठ और नैफेड ने करीब 32 लाख गांठ की खरीद की है। जबकि सीसीआई ने लगभग 61 लाख गांठ की बिक्री की है तथा नाफेड ने मात्र तीन लाख गांठ की ही बिक्री की है। कॉटन व्यापारी संजीव गर्ग ने बताया कि उत्तर भारत की मंडियों में कपास की दैनिक आवक घटकर मात्र 1700 गांठ और गुजरात में 25,000 गांठ की रह गई। महाराष्ट्र की मंडियों में दैनिक आवक घटकर 12,000 गांठ की रह गई है। (Business Bhaskar....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: