नई दिल्ली 04 27, 2009
सर्दी का मौसम बीतने पर होने वाली बारिश इस बार देश के ज्यादातर हिस्सों के साथ आंख मिचौली खेल रही है।
इसकी वजह से गर्मी के मौसम में पानी की जबरदस्त किल्लत झेलनी पड़ रही है। देश में कुल 36 मौसम विज्ञान उपखंड हैं, जिनमें 27 में 1 मार्च के बाद से या तो बरसात ही नहीं हुई है या बहुत कम हुई है।
अधिकतर जलाशयों में पानी के भंडार का स्तर बहुत नीचे गिर गया है, जिसकी वजह से बिजली का उत्पादन करने में तो दिक्कत आ ही सकती है, सिंचाई और पीने के लिए भी पानी मिलना मुहाल हो सकता है।
देश के 81 बड़े जलाशयों में से 20 में अब इतना पानी ही नहीं बचा है कि उसका इस्तेमाल हो सके। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक 81 जलाशयों में 23 अप्रैल को 3,062 घन मीटर पानी था, जो उनकी कुल भंडारण क्षमता (15,176 घन मीटर)का महज 20 फीसदी है। पिछले साल 23 अप्रैल को इन जलाशयों में मौजूद पानी से यह मात्रा 10 फीसदी कम है।
भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों को देखें, तो समूचे देश में 1 मार्च से 23 अप्रैल के बीच केवल 35 मिलीमीटर बरसात हुई। आमतौर पर इस अवधि के दौरान औसतन 59 मिलीमीटर बरसात होती है। देश के 36 मौसम विज्ञान उपखंडों में से केवल 9 में ही अच्छी बारिश हो पाई है जबकि 27 मौसम विज्ञान उपखंड पानी के लिए तरस रहे हैं।
मार्च से अप्रैल के दौरान इतनी कम बारिश हुई है हालात 2004 की इस अवधि से भी खराब हो गए हैं, जिस वर्ष सूखा पड़ा था। वैसे मौसम विभाग ने जून से सितंबर के बीच मानसून के सामान्य रहने का अनुमान लगाया है।
जिन सूबों में कम बारिश से हालात खराब हुए हैं उनमें उत्तर प्रदेश का पूर्वी हिस्सा, मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र, गुजरात के कुछ हिस्से, उत्तरी कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके के साथ-साथ तेलंगाना क्षेत्र शामिल है। (BS Hindi)
27 अप्रैल 2009
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