नई दिल्ली April 25, 2009
आगामी जुलाई से लेकर अक्टूबर तक के लिए देश की मांग के मुताबिक 80 लाख टन चीनी की आवश्यकता होगी, लेकिन सरकार के पास चीनी की उपलब्धता महज 40-45 लाख टन होगी ।
गत अक्टूबर से लेकर आगामी जून तक के लिए सरकार लगभग 160 लाख टन चीनी बाजार के लिए जारी कर चुकी है। जबकि वर्ष 2008-09 (अक्टूबर से सितंबर तक) के दौरान कुल उत्पादन 150 लाख टन से भी कम बताया जा रहा है।
सरकार के पास पिछले साल की 30-35 लाख टन चीनी बची हुई है। और 10 लाख टन रिफाइन चीनी तो 15 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया जा रहा है। चीनी कारोबारियों के मुताबिक सरकार चीनी के दाम पर नियंत्रण के लिए लगातार अतिरिक्त कोटा जारी कर रही है।
इस कदम से फौरी तौर पर चीनी की कीमत जरूर कम हो जाती है, लेकिन हफ्ते- दस दिनों के बाद चीनी की कीमत में फिर से उछाल आ जा रहा है। चार दिन पहले इस माह के लिए 6 लाख टन चीनी का अतिरिक्त कोटा जारी करने के बाद महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश में चीनी की कीमत में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ गयी।
महाराष्ट्र में चीनी 2400 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2150-2200 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गयी तो उत्तर प्रदेश में 2600 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2400 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर। अप्रैल, मई व जून के लिए सरकार 54 लाख टन का कोटा पहले ही जारी कर चुकी थी लेकिन कीमत में लगातार बढ़ोतरी देख 6 लाख टन का अतिरिक्त कोटा जारी कर दिया गया।
चीनी के थोक कारोबारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, 'सरकार आगे का बिल्कुल नहीं सोच रही है सिर्फ व सिर्फ चुनाव तक किसी भी कीमत पर चीनी के भाव को नहीं बढ़ने देना चाहती है।' देश की घरेलू खपत प्रति माह 20 लाख टन है और इस हिसाब से जुलाई से अक्टूबर तक के लिए 80 लाख टन चीनी की जरूरत होगी।
आयात होने वाली चीनी व पुराने स्टॉक को इस स ाल के उत्पादन के साथ जोड़ने पर चीनी की कुल उपलब्धता 200-210 लाख टन के आसपास होती है। इनमें से 160 लाख टन चीनी निकल चुकी है। दया शुगर के सलाहकार डीके शर्मा कहते हैं, '15 लाख टन कच्ची चीनी को इस साल यानी कि अक्टूबर के पहले रिफाइन कर लिया जाएगा इसमें संदेह है।
क्योंकि किसी भी मिल में अब पेराई का काम नहीं हो रहा है और बॉयलर चलाने के लिए बगास नहीं होने के कारण इसे रिफाइन करने में मिल वालों को लागत काफी अधिक आएगी।' दूसरी बात यह है कि 10 लाख टन सफेद चीनी का जो आयात किया जाना है वह भी चीनी की घरेलू कीमत के मुकाबले कम दाम पर नहीं होने जा रहा है। क्योंकि इस साल विश्व में चीनी का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 5 फीसदी कम है।
पाकिस्तान पहले से ही सफेद चीनी का आयात कर रहा है। पाकिस्तान में सफेद चीनी की कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गयी है। ऐसे में आयातित चीनी के आने से चीनी की कीमत कम हो जाएगी, ऐसा नहीं लगता है।
कारोबारियों के मुताबिक नई सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती चीनी उपलब्ध कराना होगा। क्योंकि चालू हालात को देखते हुए सितंबर तक चीनी का स्टॉक समाप्त हो जाएगा।
गोदाम खाली
जुलाई से अक्टूबर तक के लिए चाहिए 80 लाख टन चीनी, लेकिन सरकार के पास मात्र 40 लाख टन सरकार ने कीमतें कम करने के लिए जारी किया 6 लाख टन अतिरिक्त चीनी का कोटा (BS Hindi)
25 अप्रैल 2009
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