मुंबई 04 23, 2009
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने हीरा कारोबारियों की कमर तोड़ कर रख दी है। हीरा कारोबारी मंदी के दलदल से निकलने की हर संभव कोशिश में जुटे हैं।
कीमतों में 50 फीसदी तक की कमी और इसके बाद फिर से कीमतों में 35 फीसदी तक की छूट दिए जाने के बाद भी ग्राहकों के लिए तरस रहे बाजार में आजकल रेड डायमंड की बिक्री जोरों पर है।
आम तौर पर दिखने और प्रमाणिकता में एक जैसा होने के बावजूद कम कीमत में मिलने की वजह से ग्राहक हीरा कारोबारियों के बुने जाल में आसानी से फंस रहे हैं। हीरा बाजार में खुलेआम बिक रहे रेड डायमंड की कीमत सफेद हीरे की कीमत की तुलना में काफी कम है। इस समय वीएस टू गुणवत्ता वाले एक कैरेट हीरे की कीमत रेपो पोर्ट पर लगभग 2,700 डॉलर है।
सफेद हीरे की खरीदारी पर कारोबारी 35 से 40 फीसदी तक की छूट दे रहे हैं जबकि रेड डायमंड की खरीददारी पर 70 से 80 फीसदी तक की छूट दी जा रही है। एक बड़े हीरा कारोबारी के अनुसार सूरत के हीरा कारखानों में होने वाले काम में इस समय 70 से 80 फीसदी काम इन्ही हीरों का हो रहा है क्योंकि सस्ते होने की वजह से घरेलू बाजार में इनकी खूब मांग हो रही है।
दिल्ली और आस पास के बाजारों में इस समय रेड डायमंड की बिक्री अपने पूरे शबाब पर है। जिम्बाब्वे की खदानों से निकलने वाले हीरों को रेड डायमंड के नाम से जाना जाता है। दुनिया के कई देशों मे प्रतिबंधित होने की वजह से यह हीरा सस्ते दामों पर मिलता है। इस हीरे का सबसे बड़ा बाजार खाड़ी देश और विशेषकर दुबई को माना जाता है। दुबई के रास्ते यह रेड डायमंड भारतीय बाजारों में प्रवेश करता है।
हीरे की गुणवता जांचने वाली प्रयोगशालाओं में भी इसकी पहचान नहीं हो पाती है क्योंकि हीरे की गुणवत्ता कार्बन के आधार पर की जाती है जो इसमें भी वैसी ही होती है। रश्मि स्टार डायमंड के प्रशांत शाह के अनुसार इसकी पहचान करना आम आदमी के बस की बात नहीं होती है क्योंकि हीरे की गुणवता का प्रमाण पत्र आईजेआई द्वारा इन हीरों को भी आसानी से मिल जाता है क्योंकि भारतीय लैब इन्हें पकड़ पाने में सक्षम नहीं हैं।
पी एंड एस ज्वैलरी के चेयरमैन परेश भाई शाह कहते हैं कि बड़ी कंपनियां इनकी बिक्री नहीं करती है क्योंकि पकड़े जाने पर उनका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है और बाजार में साख भी खत्म हो सकती है, जो हीरों के कारोबार के लिए सबसे जरूरी है।
इस तरह का कारोबार छोटे कारोबारी मंदी से निपटने के लिए कर रहे हैं। परेश के अनुसार इन हीरों का धंधा भारत में इस लिए फल फूल रहा है क्योंकि ज्यादातर लोग हीरा पहनने के लिए लेते हैं निवेश केलिए नहीं, जिससे उन्हे पता ही नहीं चल पता है कि हीरे की जितनी कीमत उन्होंने अदा की है वह उतने का है भी या नहीं।
एक जैसा दिखने के बावजूद जौहरियों की पारखी नजरों से ये हीरे बच नहीं पाते हैं। रेड डायमंड को गौर से देखने पर उसका रंग हल्का हरे रंग (ग्रीन टच) का दिखाई देता है, जबकि सफेद हीरा पूरी तरह से सफेद रहता है। दूसरी पहचान लेंस से देखने पर रेड डायमंड में रेशे (पानी के बुलबुले की तरह) दिखाई देते हैं जबकि सफेद हीरे को लेंस से देखने पर वह पूरी तरह से साफ दिखाई देता है।
लाल यानी खतरा
प्रतिबंधित रेड डायमंड की बिक्री जोरों परमंदी से निपटने के लिए कारोबारियों ने निकाला नुस्खादक्षिण अफ्रीका के हीरे की तुलना में है बेहद सस्ता जिम्बाब्वे से दुबई के रास्ते से आता है भारत छोटे कारोबारी ही कर रहे रेड डायमंड का कारोबार (BS HIndi)
23 अप्रैल 2009
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