बेंगलुरु 04 24, 2009
देश से काजू गिरी के निर्यात में 5.4 फीसदी तक की कमी आई है और पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इस साल 31 मार्च तक निर्यात 108,131 टन है।
पिछले साल के मुकाबले इस साल मूल्य के लिहाज से निर्यात में 29 फीसदी तक का उछाल आया और बढ़कर कुल 2,950 करोड़ रुपये हो गया। ऐसा कहा जा सकता है कि जिंसों के इतिहास में यह सबसे ज्यादा उछाल था।
इस तेजी की वजह यह थी कि प्रति किलो भाव में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, 272.8 रुपये प्रति किलोग्राम रहा। इसकी वजह पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपये के मुकाबले डॉलर के भाव में तेजी थी।
हालांकि वित्तीय वर्ष की तिमाही में उद्योगों को अस्थायी तौर पर झटका लगा क्योंकि यूरोप और अमेरिका के कई खरीदारों ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में आयात को स्थगित कर दिया है। कच्चे काजू के आयात पर निर्भर काजू के प्रसंस्करण उद्योग को अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए इस साल 605,654 टन कच्चे बादाम का आयात किया जाएगा।
पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इकाई मूल्य के लिहाज से आयात में 50.6 फीसदी का उछाल आया और यह 2,631.78 करोड़ रुपये हो गए। आयातित बादाम के इकाई मूल्य में 50.7 फीसदी की तेजी आई और यह पिछले साल के मुकाबले 43.45 प्रति किलोग्राम हो गया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में काजू के बीजों ने पिछले साल अगस्त में अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 3.65 डॉलर प्रति पाउंड तक पहुंच गया जबकि वर्ष 2007 के सितंबर महीने में 2.15 डॉलर प्रति पाउंड था। यानी इसमें 69.7 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई।
कैश्यू एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (सीईपीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष वॉल्टर डिसूजा का कहना है, 'वर्ष 2008 हमारे लिए बेहतर रहा। इस वित्तीय वर्ष के पहले सात महीने में बेहतर वृद्धि हुई। (BS HIndi)
25 अप्रैल 2009
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