भुवनेश्वर April 30, 2009
बैंगन के आनुवांशिक रूप से परिष्कृत किस्म, बीटी बैगन से देश भर के किसानों की आमदनी बढ़ सकती है।
महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड कंपनी के अनुमानों के मुताबिक इससे किसानों को प्रति एकड़ 16,000 से 21,000 रुपये की कमाई हो सकती है और देश को प्रतिसाल 2,000 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है।
हाइब्रिड बीज बनाने वाली महाराष्ट्र की इस कंपनी ने बीटी बैंगन का बीज विकसित किया है। कंपनी का मानना है कि अगर किसान इस बीज का प्रयोग करते हैं तो फलों को फू्रट ऐंड शूट बोरर (एफएसबी) नाम के कीड़े से बचाया जा सकता है, जिससे 50-70 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है।
बैंगन की फसल को नुकसान पहुंचाने में एफएसबी प्रमुख है। महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड कंपनी के प्रमुख वैज्ञानिक भरत आर चार ने कहा कि बीटी बैंगन के बीज का प्रयोग कर, बैंगन की खेती करने वाले किसान, एफएसबी से फसल को होने वाले 50-70 प्रतिशत नुकसान से बच सकते हैं।
इसके प्रयोग से किसानों का कीटनाशकों पर आने वाला 70 प्रतिशत खर्च बच सकता है। उन्होंने दावा किया कि बीटी बीज से कीड़ों, चिड़ियों, मछलियों, जानवरों या मनुष्यों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। कंपनी को अभी भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी नियामक संस्था, जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी से अनुमति मिलना बाकी है।
उसके बाद ही कंपनी इसका व्यावसायिक इस्तेमाल कर सकेगी। इसका प्रस्ताव नियामक के पास 2006 से लंबित है। ध्यातव्य है कि कुछ स्वयंसेवी संगठनों और उपभोक्ता समूहों ने इसकी सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए हैं।
कंपनी का कहा है कि नियामक ने इस बीज का भौतिक परीक्षण करने को कहा था और कंपनी ने पिछले दो साल के दौरान मानकों के मुताबिक बड़े पैमाने पर इसका परीक्षण किया। कंपनी ने बीटी बीज के कुल 25 परीक्षण किए और इसके साथ ही 12 ट्रायल पशुओं पर किए गए।
इसके पहले बीटी कपास 2002 में बाजार में आया था। भारत में इसका जोरदार विरोध किसानों ने किया था। अब बीटी कपास से फसल के उत्पादन में 116 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। वहीं बीटी बैगन बनाने वाली कंपनी का दावा है कि इसके हाइब्रिड बीज के प्रयोग से उत्पादन में 166 प्रतिशत की बढोतरी होगी। (BS Hindi)
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