29 अप्रैल 2009
सीपीआरआई ने विकसित की आलू की नई किस्म कुफरी फ्राईसोना
नई दिल्ली: केन्द्रीय आलू शोध संस्थान (सीपीआरआई) शिमला ने आलू की एक किस्म कुफरी फ्राईसोना विकसित की है। आलू की यह नई प्रजाति फ्रेंच फ्राइज के लिए खासी उपयोगी है। सीपीआरआई के डायरेक्टर एस के पांडेय ने बताया कि कुफरी फ्राईसोना काफी लंबा होता है और इसमें 20 फीसदी से अधिक ठोस तत्व होते हैं। इसमें चीनी की मात्रा भी काफी कम होती है, इसलिए यह चिप्स और फ्रेंच फ्राइज तैयार के लिए उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि कुफरी फ्राईसोना में पत्तियों की लेट ब्लाइट बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता होती है। पांडेय ने कहा कि कुफरी फ्राईसोना की उपज स्थान विशेष के हिसाब से होती है, जो मौसम और मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि यह किस्म प्रति हेक्टेयर औसतन 25-30 टन आलू की उपज देती है जिसमें 30-35 फीसदी से भी अधिक फ्रेंच फ्राइज बनाने लायक आलू होता है। उन्होंने कहा कि कुफरी फ्राईसोना अगले साल से वाणिज्यिक उत्पादन के लिए उपलब्ध होगी। पांडेय ने कहा, 'अगले साल से हम इसकी मात्रा को बढ़ाएंगे, जो इसकी मांग और हमारे पास इसके बीज की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।' इससे पहले सीपीआरआई ने चिप्स, पापड़ और पाउडर जैसे दूसरे प्रोसेस्ड उत्पाद बनाने के लिए आलू की चार अन्य किस्मों को विकसित किया था। ये किस्में हैं- कुफरी चिपसोना, कुफरी चिपसोना-2, कुफ्री चिपसोना-3 और कुफ्री हिमसोना। पांडे ने कहा कि कुफरी चिपसोना-1 का उपयोग फ्रेंच फ्राइज बनाने के लिए भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने आलू की 45 किस्मों को विकसित किया है और कई दूसरी किस्में विकसित किए जाने की प्रक्रिया में हैं। मौजूदा समय में भारत में जो आलू पैदा किया जाता है, उसके 4 फीसदी हिस्से का उपयोग पौटेटो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में किया जाता है। भारत हर साल करीब 2.4-2.5 करोड़ टन आलू का उत्पादन 12.5-14.5 लाख हेक्टेयर में किया जाता है, जो कि देश की कुल खेती योग्य जमीन का महज 0.6 - 0.67 फीसदी हिस्सा ही है। (ET Hindi)
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