30 अप्रैल 2009
कमोडिटी की हाजिर और वायदा कीमतों में अंतर पर एफएमसी ने टिकाई निगाह
मुंबई: कमोडिटी बाजार नियामक फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) ने एक्सचेंजों को निर्देश दिए हैं कि वे आलू की हाजिर-वायदा कीमतों में मौजूद अंतर की फिर से समीक्षा करें। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के मुहैया कराए गए आलू के ऊंची वायदा कीमतों के आंकड़े बाजार नियामक को इनकी कीमतों में उछाल की वजह समझाने में असफल रहे हैं। इस हफ्ते के अंत तक एक्सचेंज फिर से एफएमसी के पास जा सकते हैं। कुछ हफ्ते पहले बजार नियामक ने एनसीडीईएक्स, एमसीएक्स और अहमदाबाद के एनएमसीई से चीनी, रबर, हल्दी और आलू की ऊंची वायदा कीमतों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था। चीनी और रबड़ के मामले में कीमतों के ऊंचा रहने के लिए इनकी मांग और आपूर्ति में बरकरार अंतर को वजह माना जा सकता है लेकिन एफएमसी को पता चला है कि टायर बनाने वाली कंपनियों से फॉरवर्ड ऑर्डर हासिल कर चुके रबर कारोबारी खुद इसकी कीमतों को ऊपर चढ़ा रहे थे। एफएमसी ने इसके बाद रबर बोर्ड से इस मामले की जांच करने को कहा है। आलू की ऊंची कीमतों ने एफएमसी को परेशानी में डाल दिया है। कृषि मंत्रालय के इस साल आलू की फसल के 3.15 करोड़ टन के जबरदस्त स्तर पर रहने की उम्मीद जताई है। यह पिछले साल हुई आलू की फसल से 10 लाख टन ज्यादा है। आलू की बंपर फसल के अनुमान को देखते हुए एफएमसी को लग रहा है कि इसकी वायदा कीमतों के ऊंचे स्तर पर रहने के पीछे कोई खेल तो नहीं चल रहा है। एफएमसी के चेयरमैन बी सी खटुआ ने कहा, 'इस तरह की सप्लाई की स्थिति में कीमतों के वायदा बाजार में उछाल की कोई वजह नहीं दिखाई नहीं देती है। इन कमोडिटी की हाजिर और वायदा कीमतों में अंतर होने के कारणों को देखना होगा। मैने दोनों कमोडिटी एक्सचेंजों से कहा है कि वह इनकी हाजिर और वायदा कीमतों में अंतर की वजहों का पता लगाएं। कहीं कुछ ऐसा है, जो कि वास्तविकता के धरातल से परे है।' एफएमसी को लग रहा है कि जिन कारोबारियों के पास कमोडिटी का स्टॉक मौजूद है वे इनकी कीमतों के और ऊपर जाने के कयास में इसकी खरीदारी के सौदे कर रहे हैं। चूंकि कोई कारोबारी महीने की 15 तारीख तक अपने कॉन्ट्रैक्ट का सेटलमेंट कर सकता है, इसलिए ऐसा लग रहा है कि जिनके पास कोल्ड स्टोरेज में स्टॉक मौजूद है वे ही इसकी कीमतों को ऊपर चढ़ा रहे हैं। 15 के बाद अपनी पोजीशन को ओपन रखने के जरिए कारोबारी को या तो डिलीवरी देनी या लेनी होती है। सौदे को काटने की स्थिति में कारोबारी मुनाफा कमाता है और वह अपने स्टॉक को या तो फिजिकल बाजार में डंप कर सकता है या अपने स्टॉक को दूसरे महीने के वायदा में बेच सकता है। (ET Hindi)
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