25 अप्रैल 2009
निर्यात मांग से जीरा में तेजी का रुख
निर्यातकों की मांग बढ़ने से जीरे में तेजी का रुख बना हुआ है। चालू महीने में ऊंझा मंडी में जीरे के भाव में करीब चार फीसदी की तेजी दर्ज की गई। हाजिर भावों में आई तेजी से वायदा बाजार में भी निवेशकों की खरीद बढ़ी है। वायदा बाजार में भी इस दौरान लगभग पांच फीसदी भाव बढ़े हैं। हालांकि वायदा बाजार में शुक्रवार को मुनाफावसूली देखी गई। ऊंझा मंडी में जीरे की दैनिक आवक भी पहले की तुलना में घटी है, जबकि निर्यातकों के साथ-साथ स्टॉकिस्टों की खरीद अच्छी देखी जा रही है। पैदावार में कमी और बकाया स्टॉक कम होने से भी तेजी को बल मिला है। अन्य प्रमुख उत्पादक देशों टर्की और सीरिया में जीरे की नई फसल की आवक जून-जुलाई महीने में बनेगी। ऐसे में भारत से अभी निर्यात मांग बराबर बनी रहने की उम्मीद है। इसलिए जीरे में तेजी का रुख कायम रहने की उम्मीद है।वायदा बाजार का हाल हाजिर बाजार में आई तेजी का असर वायदा बाजार की कीमतों पर भी देखा जा रहा है। चालू महीने में वायदा बाजार में जीरे के भावों में लगभग पांच फीसदी की तेजी आई है। शुक्रवार को एनसीडीईएक्स पर मई महीने के वायदा भाव 12,695 रुपये प्रति क्विंटल हो गये थे। लेकिन बाजार बंद होने के समय मुनाफावसूली आने से 292 रुपए की गिरावट देखी गई। पहली अप्रैल को इसके भाव 12,145 रुपए प्रति क्विंटल थे। वायदा बाजार में मई महीने में 7,056 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं।निर्यात में भारी बढ़ोतरीभारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार अप्रैल 2008 से फरवरी 2009 तक देश से जीरे का निर्यात बढ़कर 31,000 टन का हो गया है। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में देश से जीरे का निर्यात मात्र 23,265 टन का ही हुआ था। मुंबई के जीरा निर्यातक एस एम शाह ने बताया कि टर्की और सीरिया में जीरे के उत्पादन में आई गिरावट से इसके निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे के भाव 2150 डॉलर प्रति टन (एफओबी) चल रहे हैं। खाड़ी देशों के साथ-साथ यूरोप की मांग भी अच्छी चल रही है। चूंकि टर्की और सीरिया में जीरे की नई फसल की आवक जून-जुलाई महीने में बनेगी। इसलिए आगामी दो महीने तक भारत से निर्यात मांग जारी रहने की संभावना है।पैदावार में कमीऊंझा में जीरा व्यापारी कुनाल शाह ने बताया कि चालू फसल सीजन में गुजरात के सौराष्ट्र में प्रतिकूल मौसम से जीरे की फसल प्रभावित हुई है। बुवाई तो पिछले साल से ज्यादा हुई थी, लेकिन पहले कोहरे और फिर गर्म हवाओं ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया। पिछले साल देश में जीरे की पैदावार 26-27 लाख बोरी (एक बोरी 55 किलो) की हुई थी लेकिन चालू वर्ष में इसकी पैदावार घटकर 24 से 25 लाख बोरी ही रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि चालू महीने के शुरू में जीरे की दैनिक आवक 30 से 35 हजार बोरी की हो रही थी लेकिन भावों में आई तेजी से उत्पादकों की बिकवाली भी कम आ रही है। इस समय मंडी में जीरे की दैनिक आवक मात्र दस हजार बोरी की हो रही है। जबकि निर्यातकों के साथ-साथ स्टॉकिस्टों की अच्छी खरीद से दैनिक 12 से 14 हजार बोरी के सौदे हो रहे हैं।बकाया स्टॉक भी कमजीरा व्यापारी कुनाल शाह ने बताया कि चालू सीजन में नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में जीरे का बकाया स्टॉक मात्र पांच से साढ़े पांच लाख बोरी का ही था, जो पिछले साल के मुकाबले करीब आधा है। पिछले वर्ष नई फसल के समय जीरे का बकाया स्टॉक साढ़े दस से ग्यारह लाख बोरी का था। चालू सीजन में अब तक करीब 12 लाख बोरी जीरा मंडियों में आ चुका है। ऊंझा में शुक्रवार को जीरे के भाव 12,300 से 12,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से हाजिर में हल्की गिरावट तो आ सकती है। लेकिन पैदावार में कमी और निर्यातकों की अच्छी मांग से भाव फिर तेज होने की संभावना है। 24 अप्रैल 2008 को ऊंझा मंडी में जीरे के भाव 9,246 रुपए प्रति क्विंटल थे। (Business Bhaskar....R S Rana)
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