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18 अप्रैल 2009

... और हरियाणा में खरीद बढ़ने के बन रहे आसार

चंडीगढ़ 04 16, 2009
हरियाणा से गेहूं की सरकारी खरीद में पिछले साल की तुलना में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है।
पिछले साल राज्य से गेहूं की कुल खरीद 50 लाख टन थी और उम्मीद की जा रही है कि इस साल खरीद 55 से 60 लाख टन के बीच रहेगी।
इस सीजन में गेहूं की अधिक आवक की प्रमुख वजह समय से बुआई, तेजी से फसल का पकना और जल्द फसल पककर तैयार होना है। इसके साथ ही गेहूं की बुआई के क्षेत्रफल में भी बढ़ोतरी हुई है।
कृषि विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस साल गेहूं की बुआई के क्षेत्रफल में 2,0000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। इसके परिणामस्वरूप गेहूं की बुआई का कुल क्षेत्रफल बढ़कर 24.82 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि पिछले साल 24.62 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुआई हुई थी।
पिछले साल कुल आवक जहां 1033 लाख टन थी, वहीं उम्मीद की जा रही है कि इस साल आवक 105 लाख टन हो जाएगी। इसके साथ ही सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी के तहत बने गोदामों के चलते हरियाणा में गेहूं के रखरखाव में मदद मिलेगी।
भारतीय खाद्य निगम के सूत्रों के मुताबिक इस साल गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, इसलिए एफसीआई ने पहले से ही निजी सहयोग से गोदाम बनाने की व्यवस्था की। इसमें गेहूं रखने के लिए 50 पैसे प्रति माह प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। इस योजना के परिणाम स्वरूप राज्य में 10 लाख टन अतिरिक्त गेहूं भंडारण की व्यवस्था हो गई है।
पिछले साल गोदाम खाली पड़े थे, जिसके चलते रखरखाव का संकट नहीं था, लेकिन इस साल हरियाणा के गोदाम भरे हुए हैं। इस कारण सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी के बावजूद गोदामों की कमी पड़ सकती है।
हरियाणा को हर साल एफसीआई से 4 लाख टन गेहूं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलता है। इसके अलावा शेष गेहूं देश के अन्य भागों में भेजा जाता है। केंद्रीय पूल में हरियाणा का योगदान 25 प्रतिशत है। हरियाणा राज्य कृषि संघ सबसे ज्यादा गेहूं की खरीदारी (करीब 35 प्रतिशत) करता है।
इसके बाद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग (25 प्रतिशत), हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज संघ और हरियाणा वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन संयुक्त रूप से 30 प्रतिशत गेहूं की खरीदारी करते हैं। कुल उत्पादन का 10 प्रतिशत खरीद एफसीआई करता है। (BS Hindi)

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