चंडीगढ़ 04 16, 2009
पंजाब में इस साल गेहूं की सरकारी खरीद कम रहने की संभावना है, क्योंकि अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां उत्पादन में कमी आएगी।
रबी के मौसम में असमय बारिश की वजह से गेहूं की फसल पर बुरा प्रभाव पड़ा है। राज्य के हाल के अनुमानों के मुताबिक गेहूं का कुल उत्पादन155 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल कुल उत्पादन 157 लाख टन हुआ था।
फसल के उत्पादन में कमी आने के अनुमान के साथ इस साल कुल खरीद 100 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 106.1 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। इन तथ्यों के बावजूद पिछले 3 दिनों में पंजाब की मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ी है। पंजाब की मंडियों में रोजाना 7 लाख टन की आवक हो रही है।
गेहूं खरीद के मामले में जारी पंजाब सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 15 अप्रैल तक कुल 35,9415 टन की सरकारी खरीदारी हो चुकी है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक निजी कारोबारियों ने अब तक 1600 टन की खरीदारी की है। पंजाब में अब बारिश या नमी की भी कोई शिकायत नहीं है। पिछले दो-तीन दिनों से पूरे पंजाब में खिली हुई धूप देखने को मिली है।
अधिकारियों ने कहा कि राज्य की मंडियों में इस साल रिकॉर्ड गेहूं की आवक हुई है। मौसम में आए असमय बदलाव और गेहूं की फसल समय से पहले तैयार होने की वजह से यह संभव हुआ। आंकड़ों के मुताबिक 28.9 लाख टन गेहूं की आवक 14 अप्रैल तक हुई थी, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4,98,000 टन गेहूं की आवक हुई थी।
14 अप्रैल तक सरकारी एजेंसियों ने 2,57,000 टन गेहूं की खरीद कर ली थी। वहीं निजी कारोबारियों ने केवल 3,000 टन गेहूं की खरीद की है। एमएसपी ज्यादा होने और राज्य के कर अधिक होने की वजह से निजी खरीदारों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है।
पंजाब के किसानों को 11.5 प्रतिशत कर (2 प्रतिशत ग्रामीण विकास फंड, 2 प्रतिशत बाजार शुल्क, 2.5 प्रतिशत कच्चा आढ़तिया, 4 प्रतिशत वैट, 1 प्रतिशत इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास सेस) देना पड़ता है, जबकि उत्तर प्रदेश में 8 प्रतिशत, राजस्थान में 7.5 प्रतिशत कर देना पड़ता है।
इसका परिणाम यह है कि निजी खरीदार अन्य राज्यों से गेहूं खरीदते हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने खरीद के लिए उचित व्यवस्था की है, लेकिन गोदाम की कमी की वजह से समस्या का सामना करना पड़ सकता है। (BS Hindi)
18 अप्रैल 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें