लखनऊ 04 20, 2009
उत्तर प्रदेश में पेराई के इस मौसम में भी चीनी उत्पादन में गिरावट हो गई है। इस वक्त चीनी का उत्पादन लगभग 40 लाख टन पर पहुंच चुका है।
हालांकि राज्य के किसानों ने गन्ने की बकाया राशि के भुगतान का स्वागत किया है। अब तक 132 राज्य शुगर मिलों ने लगभग 95 फीसदी गन्ने की बकाया राशि का निपटान किया जिनमें निजी क्षेत्र, यूपी शुगर कॉर्पोरेशन और सहकारी इकाइयां भी शामिल है।
वर्ष 2008-09 में कुल गन्ने की बकाया राशि 6,293 करोड़ रुपये है और मिलों ने किसानों को 5,832 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। दिलचस्प बात है कि इस सीजन में गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) सामान्य किस्म के लिए ज्यादा था और यह 140 रुपये था। पिछले साल यह 125 रुपये था।
गन्ना विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'भुगतान की प्रक्रिया बेहतर ही रही है। वैसे पेराई के लिए गन्ने की आपूर्ति कम थी और मिलों ने तो ज्यादा से ज्यादा गन्ने की खरीद के लिए किसानों को अग्रिम भुगतान भी किया था।' उन्होंने कहा कि गन्ने की बकाया राशि का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया जाएगा।
गन्ने के उत्पादन में लगभग 30 फीसदी तक की कमी आई और यह 11 करोड़ टन हो गया। इसकी वजह यह थी कि गन्ने के रकबे में भी कमी आई और यह 21 लाख हेक्टेयर हो गया। किसानों का आकर्षण दूसरी खाद्य फसलों और तिलहन फसलों पर हो गया। इसके अलावा गन्ने के भुगतान में भी पिछले साल देरी हुई थी। इसकी वजह यह थी कि गन्ने की कीमतों को लेकर कई अदालतों में मुकदमा दर्ज किया गया था।
अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल के गन्ने की 60-70 करोड़ रुपये बकाया राशि का भुगतान अब तक नहीं किया जा सका है। इससे जुडे ज्यादातर केस को बोर्ड फॉर इंडस्ट्रीयल ऐंड फाइनैंशियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआईएफआर) देख रही है। वर्ष 2006-07 और 2007-08 में राज्य में चीनी का उत्पादन क्रमश: 85 लाख टन और 74 लाख टन हो गया।
इस बीच सभी 132 चीनी मिलों ने इस सीजन में पेराई में हिस्सेदारी की है। वे सभी बंद हो चुकी हैं। इस सीजन में इन मिलों ने 4.5 करोड़ टन गन्ने की पेराई की और चीनी का उत्पादन 8.9 फीसदी तक हो गया। उत्तर प्रदेश में चीनी की सालाना खपत लगभग 50 लाख टन है और इसकी खुदरा कीमतें 28 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी हैं। (BS HIndi)
21 अप्रैल 2009
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