मुंबई April 28, 2009
आर्थिक मंदी की चक्की में बुरी तरह पिसने वाले हीरा कारोबारियों के दिन फिर बुहरने लगे हैं।
मंदी की वजह से अमेरिकी बाजार में गिर चुकी मांग फिर बढ़ने लगी है, जिससे हीरा कारोबारियों के चेहरों पर चमक लौटने लगी है। अमेरिका भारतीय हीरों का सबसे बड़ा बाजार है और वहां पर मांग बढ़ने का मतलब देश के समूचे हीरा कारोबार को संजीवनी बूटी मिलने से कम नहीं है।
रत्न एवं आभूषण संघ के अध्यक्ष वसंत मेहता के अनुसार पिछले छह महीनों से हीरों की मांग दिन प्रति दिन कम होती जा रही थी लेकिन पिछले एक-दो सप्ताह से हीरों की मांग फिर शुरू हो गई है। वैश्विक बाजारों के साथ देसी बाजार से भी मांग में तेजी आ रही है।
मेहता कहते हैं कि अमेरिकी और यूरोपीय बाजार से मांग आना भारतीय हीरा उद्योग के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है। विदेशी बाजार से जिस तरह की मांग शुरू हुई है, उसको देखते हुए अगले छह महीनों में भारतीय हीरा उद्योग पटरी पर वापस आ सकता है।
साल के आखिर में यूरोप और अमेरिका में फ्री क्रिसमस और फ्री हॉलीडे पैकेज शुरू हो जाएगे। अच्छे ऑफरों को देखकर लोग भी भारी तादाद में खरीदारी करते हैं। मांग बढ़ने के मामले पर मेहता कहते हैं कि यह कहना गलत होगा कि मंदी खत्म हो गई लेकिन मंदी थम जरूर गई है। लोगों को भी लगता है कि कीमतें जितना नीचे जा सकती थीं उतनी जा चुकी हैं।
हीरों की मांग बढ़ने के साथ ही अच्छी गुणवता वाले हीरों की कीमतों में भी तकरीबन 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस पर पी एंड एस ज्वैलरी के चेयरमैन परेश भाई शाह कहते हैं कि पिछले छह महीनों से हीरा तराशने का काम लगभग पूरी तरह से बंद पड़ा था क्योंकि बाजार में खरीदार ही नहीं थे। अब अचानक मांग बढ़ने की वजह से अच्छी गुणवता और ऊंची कीमत वाले हीरों की बाजार में कमी हो गई है। इस वजह से कीमतों में भी उछाल देखने को मिल रहा है।
हीरा तराशने का काम कराने वाले प्रदीप शाह कहते हैं कि अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों से करीबन 20 फीसदी मांग बढ़ी है जिससे हीरा तराशने यानी कटिंग और पॉलिश का काम भी शुरू हो गया हैं। अगर सिलसिला यूं ही जारी रहा तो जिन लोगों की नौकरी छिनी हैं उन्हें जल्द ही वापस काम मिल सकता है।
भारत में हीरों का सालाना कारोबार तकरीबन 80,000 करोड़ रुपये का है। भारत में तराशे गए हीरों में से 70 फीसदी हीरे अमेरिकी बाजार में बिकते हैं। मंदी का दौर शुरू होने के पहले तक दुनिया में 10 बिकने वाले हीरों में से 9 भारत में तराशे जाते थे।
हीरा उद्योग के कुल वैश्विक बाजार में कीमत के आधार पर 57 फीसदी हिस्से पर भारत का कब्जा है और यह कारोबार सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा था, लेकिन पिछले साल शुरू हुई मंदी ने इसकी चाल को पलट कर रख दिया। इसकी सबसे प्रमुख वजह अमेरिकी बाजार में पिछले साल आई मंदी थी, जो भारतीय हीरों का सबसे बड़ा बाजार है।
अमेरिकी और यूरोपीय बाजार में 20 फीसदी तक बढ़ गई मांगबढ़िया किस्म और ऊंचे दाम वाले हीरों की ज्यादा मांगसालाना 80,000 करोड़ रुपये का है देसी हीरा उद्योग, बढ़ गईं उम्मीद70 फीसदी हीरे खरीद लेता है अकेला अमेरिका (BS Hindi)
29 अप्रैल 2009
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