मुंबई 04 27, 2009
मसालों के कारोबार में इस समय मंदी चल रही है। कारोबार पर चुनाव का असर तो है ही, पिछले दो सप्ताह के दौरान मांग में कमी आने से कारोबारी गतिविधियां मंद पड़ गई हैं।
इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस हफ्ते के दौरान भी मसालों का कारोबार एक सीमा के भीतर और कमजोर रहेगा। जिंस विश्लेषकों और कारोबारियों का कहना है कि वर्तमान माहौल में मसालों के कारोबार में कमजोरी बनी रहेगी।
पिछले सप्ताह के दौरान कुल मिलाकर ज्यादातर मसालों के कारोबार में कमजोरी का ही रुख रहा,हल्दी, मिर्च, कालीमिर्च का कारोबार कम कीमतों पर बंद हुआ। एग्रीवाच कमोडिटीज की विश्लेषक सुधा आचार्य का मानना है कि बीते सप्ताहों में कारोबार बहुत कम मात्रा में हुआ, मांग भी बहुत कम रही, क्योंकि इस समय देश भर में चुनावी माहौल है। अगले सप्ताह में भी उम्मीद की जा रही है कि स्थिति कुछ ऐसी ही रहेगी।
नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में हाल के महीने का हल्दी का वायदा कारोबार शनिवार को 5,320 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। हाल के उच्च स्तर 5,639 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में हल्दी 5.66 प्रतिशत पर गिरकर बंद हुई। यही हाल कुछ अन्य मसालों का रहा।
उदाहरण के लिए जीरे का हाल के महीने का वायदा कारोबार 4.59 प्रतिशत गिरकर 12,382 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि हाल ही में इसकी कीमतें 12,978 रुपये प्रति क्विंटल पर थीं। कालीमिर्च की कीमतों में 5.35 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 12,871 रुपये प्रति क्विंटल रही, वहीं मिर्च का वायदा कारोबार 12.8 प्रतिशत गिरकर 4,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
ऊंझा के एक कारोबारी दिलीप पटेल ने कहा कि आवक घटने के साथ साथ मांग भी कम हो गई है। गुजरात में अगले हफ्ते में चुनाव है, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि कारोबार पिछले हफ्ते जैसा ही रहेगा। ग्राइंडिंग इकाइयों में मांग लगभग खत्म होने से जीरे की मांग में कमी आई है।
उसके साथ ही समुद्रपार के बाजारों में भी सक्रियता नहीं है। अगले सप्ताह जीरे का समर्थन स्तर 12,125 रुपये प्रति क्विंटल रहने की उम्मीद है, जबकि 12,656 रुपये प्रति क्विंटल पर प्रतिरोध बना रहेगा।
कालीमिर्च की बात करें तो अगर बाजार से जुड़े सूत्रों की मानें तो देश में करीब 1500 टन कालीमिर्च का आयात वियतनाम, इंडोनेशिया और ब्राजील से हुआ है। आयातित कालीमिर्च स्टॉक बनाने के काम ही आ रही है।
आचार्य ने कहा कि तकनीकी आधार पर देखें तो अगले सप्ताह के दौरान इसकी कीमतों में गिरावट आएगी। कालीमिर्च के घरेलू उत्पादन में खासी कमी आई है और चालू साल में इसका उत्पादन 90,000 टन से गिरकर 48,000 टन रह गया है।
मिर्च का कारोबार भी मंदा रहा। मुंबई के एक मिर्च कारोबारी अशोक दातानी ने कहा कि मिर्च के बाजार में ज्यादा गतिविधियों के आसार नहीं हैं। सत्र का समापन फीका रहा, चुनाव भी कारोबार पर असर डाल रहा है।
ताजा हालात
चुनावों का असर मांग परआवक में आई कमीविश्व बाजारों को भी लगा 5.2 अरब डॉलर का चूनाहल्दी की मांग विदेश मेंकालीमिर्च के आयात से कीमतें गिरीं (BS Hindi)
27 अप्रैल 2009
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