28 अप्रैल 2009
भारी आयात से भी नहीं लग सकी खाद्य तेल की कीमतों में तेजी पर लगाम
कोलकाता: पिछले सात हफ्ते में देश में 13 लाख टन खाद्य तेल आयात होने के बावजूद घरेलू बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट नहीं आ रही है। आयात के जरिए आपूर्ति में इजाफा होने से भी घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतें पिछले महीने की तुलना में 10 से 15 फीसदी ऊपर चल रही हैं। ट्रेडरों और रिफाइनरों के बीच कुकिंग ऑयल के आयात का आकर्षण बना हुआ है और इस वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि अप्रैल में देश में करीब सात लाख टन खाद्य तेल का आयात होगा। गौरतलब है कि मौजूदा तेल वर्ष (नवंबर 2008 से अक्टूबर 2009) के पहले पांच महीने में करीब 34.34 लाख टन तेल का आयात हो चुका है। यह पिछले तेल वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 78 फीसदी ज्यादा है। आश्यर्चजनक यह है कि इस साल के रबी सीजन में ऑयलसीड का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 15 लाख टन ज्यादा रहकर 96 लाख टन पर पहुंचने के कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के आने के बावजूद कुकिंग ऑयल का आयात इतने ऊंचे स्तर पर चला गया है। पिछले पांच महीने में तेल के आयात के ट्रेंड को देखते हुए खाद्य तेल उद्योग को उम्मीद है कि मौजूदा तेल वर्ष में इसका आयात पिछले साल के 56 लाख टन से बढ़कर 75 लाख टन पर पहुंच जाएगा। सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के प्रेसिडेंट अशोक सेठिया के मुताबिक, यह काफी आश्चर्यजनक है कि तेल आयात महीने आधार पर बढ़ रहा है जबकि पहले से भारतीय पोर्ट और पाइपलाइनों में भारी मात्रा में तेल मौजूद है। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में आए उछाल के बावजूद आयात बढ़ रहा है। आयात में इजाफा होने की एक वजह खरीफ सीजन में पैदा हुए ऑयलसीड के स्टॉक के बारे में चल रही कयासबाजी है। इस बारे में सेठिया कहते हैं कि ऐसा लग रहा है कि खरीफ सीजन में ऑयलसीड के कम उत्पादन की वजह से घरेलू बाजार में तेल की उपलब्धता में कमी आई है। इसके अलावा, चावल की पेराई पर भी चावल के निर्यात पर लगी रोक की वजह से असर पड़ा है। इस वजह से राइस ब्रान की उपलब्धता कम हुई है और इसी वजह से राइस ब्रान ऑयल में भी कमी आई है। मौजूदा वक्त में, सोयाबीन और रेपसीड मस्टर्ड की कीमतें 2,500 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर चल रही हैं इसके बावजूद किसान अपनी फसल बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। किसानों को लग रहा है कि आने वाले वक्त में उन्हें इसकी ज्यादा कीमत मिल सकेगी। तेल इंडस्ट्री इस वक्त किसानों को ज्यादा कीमत देने में असमर्थ है क्योंकि उन्हें बाहर से तेल आयात ज्यादा सस्ता पड़ रहा है और इस वजह से ही तेल आयात में इजाफा हो रहा है। (ET Hindi)
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