कोलकाता 04 15, 2009
भारत का पहला जीएम (संवर्धित) खाद्य उत्पाद बीटी बैगन में सरकार की बॉयोटेक्नोलॉजी नियामक संस्था, जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रुवल कमेटी (जीईएसी) से स्वीकृति पाने के अंतिम चरण पर है।
महाराष्ट्र की हाइब्रिड बीज कंपनी (माहीको) ने बीटी बैंगन का विकास किया लेकिन उसे कई तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ी। इसकी वजह यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उपभोक्ता संगठन इस बैगन को लेकर स्वास्थ्य से जुड़े सवाल उठा रहे हैं।
माहीको की संयुक्त निदेशक (शोध)उषा बारवाले जेर का कहना है, 'हमे बीटी बैगन की बीजों का खेतों में परीक्षण करने की इजाजत पहले से ही जीइएसी को मिल चुका है जो अब पूरा हो चुका है। खेतों में परीक्षण के आंकड़े और वैज्ञानिक दस्तावेज रिव्यू कमिटी ऑन जेनेटिक मॉडिफिकेशन (आरसीजीएम) के पास जमा किया गया है। इसमें इसे स्वास्थ्य के लिए बेहतर होने की हरी झंडी मिल चुकी है।
हमने जीईएसी को बीटी बैगन के बीजों के व्यावसायिक कारोबार के लिए निवेदन किया है और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक स्वीकृति भी मिल जाएगी।' वर्ष 2006 में देश की बड़ी बीज कंपनी माहीको ने बॉयोटेक उत्पादों मसलन बीटी कॉटन हाइब्रिड की सफल शुरुआत की। इसके अलावा इसने बीटी बैगन को व्यावासायिक बनाने के लिए भी आवेदन दिया।
लेकिन जीईएसी ने कंपनी को इसका और भी ज्यादा अध्ययन कराने के लिए कहा। जेर का कहना है कि माहीको ने सभी अध्ययनों को पूरा किया और उन्होंने अपने आवेदन के साथ अपनी रिर्पोट को फिर से पिछले साल जमा किया। कई वैश्विक अध्ययनों और गैरसरकारी संगठनों के कैंपेन के जरिए भी बीटी बैगन जैसे संवर्धित खाद्य उत्पादों से स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए खेती पर सवाल उठाए गए।
हालांकि जेर का दावा है यह संवर्धित बीज सामान्य बैगन से बहुत ज्यादा अलग नहीं है, लेकिन इसमें केवल अतिरिक्त बीटी प्रोटीन है। उनका कहना है कि इससे उत्पादन क्षमता में बहुत सुधार होने की उम्मीद है। बैगन के उत्पादन में सबसे ज्यादा खतरा पौधों में कीड़े लगने से होता है। कीटों की वजह से फसल उत्पादन का बहुत नुकसान होता है और कई फलों की खेती बर्बाद हो जाती है।
कपास के बाद...
महाराष्ट्र की हाइब्रिड बीज कंपनी ने बीटी बैगन का विकास किया कंपनी को साल के अंत तकव्यावसायिक कारोबार की अनुमति की (BS Hindi) उम्मीद
16 अप्रैल 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें