29 मई 2010
आम निर्यात आठ फीसदी बढ़ने की संभावना
दुनिया के सबसे बड़े आम उत्पादक देश भारत से चालू सीजन में आमों का निर्यात 8।5 फीसदी बढ़कर 90 हजार टन तक पहुंचने की संभावना है। एग्री-निर्यात प्रमोशन संगठन एपीडा के अनुसार मध्य-पूर्व से आम की मांग अच्छी निकल रही है।एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा मार्केटिंग वर्ष 2010-11 के दौरान आमों का निर्यात बढ़कर 90 हजार टन से ज्यादा हो सकता है। मध्य-पूर्वी देशों से जोरदार मांग निकल रही है। इसके बावजूद भारत से आमों का निर्यात कुल उत्पादन के मुकाबले एक फीसदी से भी कम रहेगा। देश में हर साल करीब 125 लाख टन आमों का उत्पादन होता है। पिछले साल भारत से 83 हजार टन आमों का निर्यात हुआ था। यह निर्यात मध्य-पूर्व के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन को किया गया। देश में आम का सीजन मार्च से जुलाई तक चलता है। भारत से मुख्य रूप से अलफांसो आम का निर्यात किया जाता है। इस किस्म के आम का सीजन मार्च के अंत में शुरू होता है। एपीडा दशहरी आम का निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में उगाए जाने वाले दशहरी आम की मांग बढ़ने की काफी संभावना है क्योंकि इसे ज्योग्रफीकल इंडीकेशन (जीआई) पेटेंट मिल गया है। दशहरी आम की बाजार में सप्लाई अगले सप्ताह शुरू होने की संभावना है। एपीडा उत्तर प्रदेश में निर्यातकों और बागान मालिकों के साथ बैठक करके फल की क्वालिटी सुनिश्चित करने और परिवहन और रखरखाव संबंधी समस्याएं दूर करने की कोशिश करगा। चूंकि हवाई मार्ग से निर्यात काफी खर्चीला साबित होता है, इसलिए एपीडा पिछले साल से समुद्री मार्ग से ही आमों के सुरक्षित निर्यात की कोशिश कर रहा है। इससे निर्यातकों को बेहतर मार्जिन मिल सकेगा। एपीडा परीक्षण के तौर पर अगले सप्ताह समुद्री मार्ग से 72 टन आम निर्यात करने की योजना बना रहा है। (बिसनेस भास्कर)
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