नई दिल्ली May 29, 2010
मॉनसून के बेहतर रहने और किसानों को उनकी मेहनत का बेहतर प्रतिफल मिलने से इस साल देश में दुग्ध उत्पादों और दूध का अतिरिक्त उत्पादन देखने को मिल सकता है। भारत, दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जहां 1080 लाख टन से ज्यादा दूध का उत्पादन होता है।
प्रतिदिन 18 लाख लीटर दूख का कारोबार करने वाली चेन्नई की कंपनी हटसन एग्रो के प्रबंध निदेशक आरसी चंद्रमोगन ने कहा, 'इस साल दुग्ध उत्पादन ज्यादा रहने की उम्मीद है, क्योंकि देश के किसानों को बेहतर दाम मिल रहे हैं। महाराष्ट्र में पहले ही जरूरत से ज्यादा दूध का उत्पादन होने लगा है। अगले 2-3 महीनों में उत्तर भारत के राज्यों में भी दूध का उत्पादन जरूरत से ज्यादा होगा। अगर एक बार ऐसा हो जाता है तो देश को अतिरिक्त उत्पादन के उपभोग को लेकर चिंता करनी पड़ेगी।'
मौसम विभाग ने अप्रैल 2010 के अंत में अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि देश में बारिश लंबी अवधि के औसत के मुताबिक 98 प्रतिशत होने की संभावना है। पिछले साल मॉनसून सामान्य से 22 प्रतिशत कम था, जिसकी वजह से दूध की उपलब्धता में कमी आई थी।
उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में दूध का उत्पादन इतना हो रहा है कि खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इसके पहले डेयरी प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा दूध इकट्ठा किए जाने के चलते कमी नजर आ रही थी और वे कीमतों में लगातार बढ़ोतरी कर रही थीं।
पिछले 2 साल के दौरान ज्यादातर राज्यों में दूध के दाम में 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उत्तरी भारत में प्रसंस्करणकर्ता भैंस का दूध किसानों से 25-26 रुपये प्रति किलो के भाव खरीद रहे हैं। कृष्णा ब्रांड केनाम से दूध की बिक्री करने वाली भोले बाबा डेयरी इंडस्ट्रीज के निदेशक जितेंद्र अग्रवाल ने कहा, 'जाड़े के समय में आपूर्ति अच्छी थी और स्टॉक भी बेहतर था। इसके चलते स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों में स्थिरता बनी रही।'
चंद्रमोगन ने कहा कि अगर दूध के उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी होती है तब भी इसका प्रभाव व्यापक होगा। उन्होंने कहा, 'अगर अतिरिक्त दूध का प्रसंस्करण किया जाता है, तो तैयार उत्पादों जैसे स्किम्ड मिल्क पाउडर और मक्खन की आपूर्ति बढ़ेगी। इसका असर प्रसंस्करण इकाइयों के मुनाफे पर पड़ेगा और वे दूध के कम दाम देने को मजबूर होंगी।'
गर्मी के मौसम की मांग शुरू हो गई है, लेकिन दूध पाउडर की कीमतों में तेजी नहीं आई है। चंद्रमोगन ने कहा- आइस्क्रीम और दुग्ध आधारित पेय बनाने के लिए गर्मियों में दूध पाउडर की मांग बहुत ज्यादा होती है। इस समय कीमतें 135-140 रुपये प्रति किलो पर स्थिर बनी हुई हैं।
उद्योग जगत के अन्य जानकार भी इसका समर्थन करते हैं और उनका कहना है कि देश से 3-4 महीने बाद दूध का निर्यात करना पड़ सकता है। एक दुग्ध प्रसंस्करणकर्ता ने कहा कि हम योजना बना रहे हैं कि हमारे संगठन इंडियन डेयरी एसोसिएशन में एक प्रतिनिधिमंडल हो, जो दुग्ध उत्पादों के निर्यात की संभावनाओं की तलाश करे। अभी दूध की कीमत ज्यादा होने की वजह से हम वैश्विक रूप से कारोबार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। (बीएस हिंदी)
29 मई 2010
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