27 मई 2010
बड़े उपभोक्ताओं की चीनी स्टॉक लिमिट हटाई जाए : उद्योग
चीनी उद्योग ने कहा है कि कोल्ड ड्रिंक, बिस्कुट, कन्फेक्शनरी निर्माताओं पर लागू स्टॉक लिमिट में दी गई छूट से चीनी की मांग में कोई इजाफा नहीं हुआ है। इस वजह से इन बड़े उपभोक्ताओं पर स्टॉक लिमिट पूरी तरह हटाई जानी चाहिए।इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के डिप्टी डायरक्टर जनरल एम। एन. राव ने कहा कि इस समय भारतीय चीनी मिलों के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं है क्योंकि आयातित चीनी के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं है। घरेलू चीनी पर स्टॉक लिमिट लागू होने के कारण बड़े उपभोक्ता चीनी आयात करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने बड़े उपभोक्ताओं के लिए स्टॉक लिमिट में छूट दे दी थी। वे 10 दिन के बजाय 15 दिन की खपत के बराबर चीनी स्टॉक कर सकते हैं। पिछले साल अगस्त में बढ़ते मूल्य पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार ने बड़े उपभोक्ताओं पर स्टॉक लिमिट लगाई थी। बड़े उपभोक्ता देश की कुल खपत में 60 फीसदी से ज्यादा चीनी का उपयोग करते हैं।इस्मा और नेशनल फेडरशन ऑफ कोआपरटिव शुगर फेडरशन (एनएफसीएसएफ) ने सरकार से मांग की है कि बड़े उपभोक्ताओं पर लागू स्टॉक लिमिट पूरी तरह हटाई जानी चाहिए, जिससे चीनी के मूल्य की गिरावट रोकी जा सके। चीनी का मूल्य अपने रिकॉर्ड स्तर करीब 50 रुपये से करीब तीस फीसदी गिरकर 30-32 रुपये प्रति किलो रह गया है। चीनी का रिकॉर्ड भाव जनवरी मध्य तक रहा था। उद्योग स्टॉक लिमिट हटाने के अलावा व्हाइट शुगर के आयात पर शुल्क लगाने की भी मांग कर रहा है। फिलहाल डयूटी फ्री चीनी दिसंबर तक आयात करने की अनुमति है।तर्कस्टॉक लिमिट में छूट से नहीं बढ़ी मांगआयातित चीनी पर लिमिट न होने से नुकसान (बिज़नस भास्कर)
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