मुंबई/कोलकाता May 20, 2010
यूरो क्षेत्र में चल रही वित्तीय मुश्किलों और सट्टा कारोबार को रोकने के लिए जर्मनी के फैसले से बुधवार को लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में ज्यादातर मेटल शेयर 4-6 फीसदी की गिरावट पर रहे और कच्चे तेल की कीमतें पिछले सात महीने के निचले स्तर 68 डॉलर पर आ गईं।
गिरावट का यह क्रम कब थमेगा, नहीं कहा जा सकता। हालांकि ज्यादातर जानकारों का मानना है कि जिंसों की मांग में मजबूती बनी है। यूरोपीय देशों में ऋण संकट के सामने आने से इस वित्त वर्ष की शुरुआत से अब तक जिंसों के भाव 10-20 फीसदी गिर चुके हैं।
लंदन के नेटिक्सिस बैंक समूह कंपनी के नेटिक्सिस कमोडिटी बाजारों ने जानकारी दी, 'यूरोप में ऋण संकट और चीन में मौद्रिक सख्ती के बावजूद वैश्विक विकास के संकेत हाल के महीनों में मजबूत बने रहे हैं। आर्थिक विकास के समेकित आंकड़ों से अब भी विकास में तेजी के संकेत मिलते हैं। उभरते बाजारों और चीन को छोड़कर कई ओईसीडी देशों में विकास दर बढ़त पर है क्योंकि वैश्विक आर्थिक स्थिति सामान्य होने लगी है।'
नाल्को में वित्तीय निदेशक बी एल बागरा ने कहा, 'वित्तीय संस्थाओं की ओर से वायदा बाजार में लॉन्ग पोजीशन खत्म किए गए हैं और इससे एलएमई में धातु के मूल्य में गिरावट आई है। हमें लगता है कि एक दो महीनों में कीमतों में वापसी आ सकती है।'
हालांकि, बाजारों के रुझान पर यूरो क्षेत्र में वित्तीय संकट से प्रभावित हो रहे हैं। बाजार की धारणा पर चाइना बैंकिंग रेगुलेटरी कमीशन के ब्यूरो की ओर से शुक्रवार को की गई घोषणा का भी असर हुआ है। घोषणा के मुताबिक बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि स्थानीय सरकार से सहायता प्राप्त नई निवेश इकाइयों और मौजूदा निवेश माध्यमों की नई परियोजनाओं को दिए जाने वाले कर्जों पर कड़ा नियंत्रण रखें।
पॉलिमर और पेट्रोकेमिकल सेगमेंट में भी अप्रैल के बाद से कीमतों में गिरावट आई है। मैक ग्रॉ हिल्स के खंड प्लेट्स द्वारा तैयार ग्लोबल पेट्रोकेमिकल्स इंडेक्स अप्रैल की शुरुआत में 1262.4 अंकों से खिसककर पिछले सप्ताहांत 1164.6 अंकों पर आ गया।
प्लेट्स, यूरोप के प्रबंध निदेशक इलाना डीजेलाल ने कहा, 'यूरो क्षेत्र में पेट्रोकेमिकल्स और पॉलिमर की मांग पर बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ है। ज्यादातर परिशोधन इकाइयां 85-90 फीसदी और कुछ तो 100 फीसदी क्षमता पर परिचालन कर रही हैं। ऋण संकट ने इन उत्पादों की उपयोग मांग पर असर नहीं डाला है और इनके उपयोगकर्तों में काई दहशत नहीं है।'
इन अनिश्चितताओं और कीमतों पर इसनके असर के बावजूद बारक्लेज कमोडिटी रिपोर्ट कहती है कि बाजारों की कमजोर स्थिति की वजह से तात्कालिक प्रभाव के रूप में कुछ असर है। एलएमई के भंडारों के रुझान मौजूदा समय में समर्थन में हैं। ज्यादातर मिश्र धातुओं के शेयरों में पिछले हफ्ते में गिरावट आई है।
यूरोप और अमेरिका के हाजिर बाजार अब भी इस साल के उच्चतम स्तरों पर बंद हुए हैं। प्रीमियम से हाजिर बाजार में मांग में मजबूती के संकेत मिलते हैं। जैसे कि एल्युमीनियम के लिए यूरोपीय प्रीमियम दशक के अपने सर्वोत्तम स्तर पर है क्योंकि ऊंची माग और बड़े सौदे की वजह से हाजिर बाजर में काफी खींच-तान चल रही है।
हिंदुस्तान कॉपर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शकील अहमद ने कहा, 'यूरोप के संकट से तांबे की कीमतों पर बहुत ज्यादा असर होने की उम्मीद नहीं है। चीन तांबे का सबसे बड़ा और अमेरिका दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। यूरोप में जितने तांबे का उत्पादन होता है वह उसका खुद ही इस्तेमाल कर लेता है। लिहाजा यूरोपीय संकट से लंबे समय के लिए कोई असर होने की संभावना नहीं है।'
लेकिन, बाजार भावना पर जरूर असर हुआ है। तांबे की कीमतें 8,000 डॉलर के आस पास चल रही थीं जो अब 6,500 रुपये तक गिर चुकी हैं। चीन में मौद्रिक नीति में सख्ती का असर भी कीमतों पर हुआ है।
यूरोप के ऋण संकट से एक्सचेंजों में पिट रहे हैं जिंस
बुधवार को लंदन मेटल एक्सचेंज में ज्यादातर धातुओं में 4-6 फीसदी की गिरावट रहीकच्चे तेल की कीमतें 7 माह के न्यूनतम स्तर- 68 डॉलर प्रति बैरल परजानकारों का मानना है कि 1-2 महीनों में आ सकती है कीमतों में तेजीज्यादातर परिशोधन इकाइयों का काम तेज (बी स हिंदी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें