पुणे : करीब दो साल कृषि उत्पादन में कमी के बाद के बाद महाराष्ट्र सामान्य खरीफ फसल के लिए तैयार हो रहा है, लेकिन श्रमिकों की कमी ने किसानों को नई मुश्किल में डाल दिया है। कम मजदूर होने की वजह से न केवल कृषि गतिविधियों पर असर पड़ रहा है बल्कि फर्टिलाइजर का डिस्ट्रीब्यूशन भी गड़बड़ा गया है। महाराष्ट्र के कृषि सचिव नानासाहेब पाटिल ने कहा, 'आगामी खरीफ के लिए हमारे पास उर्वरकों की पर्याप्त सप्लाई है, लेकिन श्रमिकों की उपलब्धता यह तय करेगी कि राज्य के अलग-अलग कोने में इसका वितरण सही वक्त पर हो पाएगा या नहीं।' उन्होंने जोर दिया कि राज्य सरकार को श्रम संबंधी मुद्दों के निपटारे के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत होगी। शहरों में ऑर्गेनिक सब्जियां पहुंचाने वाले किसान नामदेव माली ने कहा कि उनके सामने खड़ा सबसे बड़ी दिक्कत श्रमिकों की है।
उन्होंने कहा, 'अपने कृषि उत्पादों की पैकेजिंग के लिए हमारे गांवों में खाली जमीन पड़ी है, लेकिन इसके लिए मजदूर नहीं मिल रहे। इसके उलट शहरों में मजदूर तो मिल रहे हैं, लेकिन जगह मिलनी मुश्किल है।' कृषि श्रमिकों की भारी कमी है या फिर वे काफी महंगे हैं। किसानों को ज्यादा मजदूरी का भुगतान करना पड़ता है, ऐसे में उनकी लागत बढ़ती जाती है। अप्रैल में सांगली जिले में 7500 टन फटिर्लाइजर श्रमिकों के विरोध की वजह से लौटा दिया गया था। देश में सबसे अधिक प्याज का उत्पादन करने वाले नासिक जिले में बीते दो साल के दौरान मजदूरों और कारोबारियों ने पांच बार हड़ताल की है। इन्हीं वजहों से जिले में बीते दो साल में 18 दिन ट्रेडिंग निलंबित हो चुकी है। संघार एक्सपोर्ट्स के मालिक दानिश शाह ने कहा, 'नासिक में एपीएमसी बंद होने की वजह से प्याज की सप्लाई पर असर पड़ा है, जबकि हमारे ग्रेडिंग और पैकिंग सेंटर पर प्याज की कीमतें भी प्रभावित हुई हैं।' यह कंपनी देश के सबसे बड़े प्याज निर्यातकों में से एक है। बीते दो साल में श्रमिकों की कमी सब्जियों की सप्लाई में गिरावट और उनकी ऊंची कीमतों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। मजदूरों की कमी और ऊंची दिहाड़ी की वजह से न केवल लागत बढ़ी है, बल्कि किसानों को दूसरे विकल्पों पर भी गौर करने पर मजबूर कर दिया है। माना जाता है कि नरेगा की वजह से खेती से जुड़ी मजदूरी में इजाफा हुआ है। (ई टी हिंदी)
25 मई 2010
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