चंडीगढ़ May 05, 2010
गन्ने का रकबा 50 फीसदी बढ़ाकर 60,000 हेक्टेयर से 90,000 हेक्टेयर करने की पंजाब सरकार की योजना बिजली की किल्लत की वजह से इस सत्र में पूरी नहीं हो पाएगी।
खेतों की सिंचाई में बिजली का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अधिकारियों के मुताबिक इस साल गन्ने की खेती 80,000 हेक्टेयर में हो सकती है और उत्पादन के 26 लाख क्विंटल रहने की संभावना है।
किसानों की ओर से गन्ने के बजाए गेहूं और धान की खेती को प्राथमिकता दिए जाने के चलते राज्य में गन्ने के रकबे में लगातार कमी देखने को मिली है जिसका असर राज्य में कुल चीनी उत्पादन पर हुआ है।
2008-09 में राज्य में 81,000 हेक्टेयर जमीन में गन्ने की खेती की गई थी जो 2009-10 में घटकर 60,000 हेक्टेयर हो गई। रकबे में भारी कमी को देखते हुए पंजाब सरकार ने मौजूदा सत्र 2010-11 में गन्ने के रकबे को 90,000 हेक्टेयर तक बढ़ाने की योजना बनाई थी।
गन्ना आयुक्त से जुड़े अधिकारियों ने कहा, 'राज्य में बिजली की किल्लत के चलते इस सत्र में हमारा लक्ष्य पूरा नहीं हो सकेगा क्योंकि सिंचाई में बिजली अहम भूमिका निभाती है। शुरुआत में हमें उम्मीद थी कि चालू सत्र में गन्ने का कुल रकबा 90,000 हेक्टेयर के स्तर तक पहुंच जाएगा।
लेकिन हालिया समीक्षा बैठक के बाद हमें लगता है कि इस सत्र में गन्ने की बुआई 80,000 हेक्टेयर में ही हो सकेगी क्योंकि किसान गन्ने की बुआई में अरुचि दिखा रहे हैं क्योंकि सिंचाई के लिए वे बिजली पर निर्भर करते हैं।'
सरकार की तरफ से तय लक्ष्य काफी बड़ा दिख रहा है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, 'इस साल हमने उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीकें जैसे सिंगल बड तकनीक और इंटर क्रॉपिंग पेश की हैं। इस साल किसानों को गन्ने के लिए हाथो-हाथ भुगतान किया गया और कुछ मामलों में तो उन्हें अग्रिम भुगतान भी किया गया।
इससे पहले किसानों को भुगतान प्राप्त करने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था। लिहाजा हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल पैदावार में बढ़ोतरी होगी।' (बीएस हिंदी)
05 मई 2010
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