लखनऊ May 22, 2010
चीनी के लगातार घटते भाव और थोक बाजार में सुस्त पड़ी मांग ने उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों की हालत खराब कर दी है। इन वजहों से 2009-10 के पेराई सत्र में मिलों पर गन्ना किसानों का तकरीबन 900 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया हो गया है।
दरअसल चीनी के थोक भाव 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल के चरम से उतरकर अब महज 2,800 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं। इसकी वजह से बैंकों ने भी मिलों की नकद ऋण सीमा कम कर दी है। यही वजह है कि मिलों के पास नकदी का टोटा होने लगा है।
इसके अलावा जिस वक्त चीनी के भाव आसमान छू रहे थे और उसी स्तर पर भाव बने रहने का अनुमान था, उस वक्त चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को तकरीबन 300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से भुगतान किया था। गन्ने की किल्लत की मारी चीनी मिलें 165 रुपये प्रति क्विंटल के राज्य समर्थित मूल्य पर 135 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देने से भी नहीं चूकीं।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बिड़ला, मोदी, बलरामपुर, धामपुर और त्रिवेणी समूह समेत तमाम चीनी कंपनियों और चीनी मिलों को यह बकाया निपटाने में कम से कम डेढ़ महीने का वक्त लगेगा।
चीनी उद्योग के एक प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग को पेराई के सत्र की शुरुआत में ही कच्ची चीनी के आयात का खामियाजा भुगताना पड़ा। राज्य सरकार ने शुरुआत में इस चीनी के प्रसंस्करण की इजाजत नहीं दी और बंदरगाहों पर इन्हें रखने के एवज में मिलों को कई महीने तक शुल्क देना पड़ा। अब बाजार में चीनी की मांग घटी है।'
प्रवक्ता ने कहा, 'हम बकाया निपटा रहे हैं और इसमें तकरीबन 1 महीना लग जाएगा। किसान और गन्ना समितियां हालात समझ रहे हैं।' हालिया चीनी सीजन में यूपी की चीनी मिलों ने किसानों को 13,000 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड भुगतान किया था।
प्रवक्ता ने कहा, '2009-10 में जितना भुगतान हुआ था, अगले सीजन में शायद ही हो पाए क्योंकि गन्ने का रकबा और पैदावार दोनों में ही अच्छा खासा इजाफा होना तय है। ऐसे में अगले सीजन में बोनस दिया जाना बहुत मुश्किल होगा।'
इस बार राज्य की 128 चीनी मिलों ने तकरीबन 51.62 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। अगले सत्र में गन्ने का रकबा 20 फीसदी बढ़कर 21.5 लाख हेक्टेअर होने का अनुमान है। इस बार गन्ने का कुल रकबा 17.9 लाख हेक्टेअर था, जबकि पिछले साल यह 21.4 लाख हेक्टेअर था।
...गन्ने से लग गई तगड़ी मार
चीनी मिलों ने लिया 300 रु। क्विंटल गन्ना तब से अब तक 2,000 रु. प्रति क्विं. गिरी चीनी खस्ताहाल चीनी मिलों पर किसानों का तगड़ा बकाया (बीएस हिंदी)
24 मई 2010
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