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26 मई 2010

विदेशी तेजी से 8फीसदी चढ़ी काली मिर्च

अंतरराष्ट्रीय बाजार में काली मिर्च की कीमतों में तेजी आने से पिछले एक सप्ताह में नीलामी केंद्रों पर इसके भाव में आठ फीसदी की तेजी आई है। कोच्चि में नीलामी केंद्रों पर एमजी-1 काली मिर्च के भाव बढ़कर करीब 17,300 रुपये प्रति `िंटल हो गए। वियतनाम की बिकवाली कम आने से विदेशी बाजार में काली मिर्च की कीमतों में पिछले डेढ़ महीने में करीब 100 डॉलर प्रति टन की तेजी आ चुकी है। इंडोनेशिया और ब्राजील में नई फसल की आवक जुलाई में बनेगी, तब तक इसकी कीमतों में तेजी बनी रहने की संभावना है। बंगलुरू के काली मिर्च निर्यातक अनीश रावथर ने बिजनेस भास्कर को बताया कि वितयतनाम ने चालू साल के पहले चार महीनों में करीब 43,000 टन काली मिर्च की बिक्री की है। चूंकि वियतनाम में प्रतिकूल मौसम से काली मिर्च का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी घटकर 90,000 टन ही होने का अनुमान है। इसलिए वियतनाम के निर्यातकों ने बिकवाली पहले की तुलना में घटा दी है। जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले डेढ़ महीने में करीब 100 डॉलर प्रति टन की तेजी आ चुकी है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय काली मिर्च का भाव 3,950 डॉलर और वियतनाम की काली मिर्च का भाव 3,750 डॉलर प्रति टन हो गया है। उधर इंडोनेशिया और ब्राजील में काली मिर्च की नई फसल की आवक जुलाई में बनेगी तथा इन देशों के पास बकाया स्टॉक कम है। ऐसे में जून में काली मिर्च के दाम तेज ही बने रहने की संभावना है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 के (अप्रैल से फरवरी) के दौरान निर्यात में 23 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान कुल निर्यात घटकर 17,760 टन का ही हुआ है। जबकि पिछले साल की समान अवधि में 23,100 टन का निर्यात हुआ था। भारत के मुकाबले वियतनाम का भाव कम होने से भारत से निर्यात कम हो रहा है। केदारनाथ संस के डायरक्टर अजय अग्रवाल ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में नीलामी केंद्रों पर एम-जी वन काली मिर्च की कीमतों में 1,300 रुपये प्रति `िंटल की तेजी आ चुकी है। घरलू बाजार में कीमतों में आई तेजी के असर से वायदा में भी दाम बढ़े हैं। एनसीडीईएक्स पर जून महीने के वायदा अनुबंध में पिछले एक सप्ताह में करीब 3।6 फीसदी की तेजी आई है। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि वायदा में निवेशकों की खरीद से कीमतों में तेजी आई है। उद्योग सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में घरेलू पैदावार पिछले साल के 45,000 टन से घटकर 40,000 टन ही होने का अनुमान है। उधर इंटरनेशनल पिपर कम्युनिटी (आईपीसी) के ताजा अनुमान के अनुसार विश्व में काली मिर्च के उत्पादन में 9,000 टन की कमी आकर कुल उत्पादन 279,650 टन होने की संभावना है। उत्पादन में कमी आने का प्रमुख कारण प्रमुख उत्पादक देशों में मौसम प्रतिकूल होना है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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