अहमदाबाद May 24, 2010
डेनिम कपड़े बनाने वालों पर भी अब कपास की बढ़ रही कीमतों का असर होने वाला है।
कच्चेमाल की ज्यादा लागत के चलते डेनिम कंपनियों का मुनाफा घट रहा है क्योंकि ये उपभोक्ताओं पर बढ़ती लागत का पूरा भार एक ही बार में डाल नहीं पा रही हैं। हालांकि, डेनिम कंपनियां अप्रैल की शुरुआत से अब तक 10-15 फीसदी कीमतें बढ़ा चुकी हैं।
डेनिम कंपनियां डेनिम कपड़े बनाने के लिए मुख्य रूप से शॉर्ट स्टेपल कॉटन (12 मिलीमीटर से 24 मिलीमीटर लंबाई के रेशे) का इस्तेमाल करती हैं। कच्चेमाल की लागत का करीब 50 फीसदी इसमें खर्च होता है।
शॉर्ट स्टेपल किस्म कल्याण वी-797 की कीमत करीब 25 फीसदी बढ़ चुकी है। मौजूदा सत्र की शुरुआत में इसकी कीमत जहां 17,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो) थी, अब 21,000 रुपये प्रति कैंडी हो गई है।
आरवी डेनिम ऐंड एक्सपोर्ट लिमिटेड के चेयरमैन विनोद अरोड़ा का कहना है, 'कच्चेमाल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से लागत खर्च 12-15 फीसदी तक बढ़ गए हैं और इसका असर मुनाफे पर होगा।'
अरविंद लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी जयेश शाह विनोद अरोड़ा की बातों का समर्थन करते हुए कहते हैं, 'डेनिम की मांग काफी ज्यादा है। हालांकि, कपास की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल और उससे भी ज्यादा सूत के बढ़े दामों से मुनाफे पर दबाव बना हुआ है।'
प्रमुख डेनिम कंपनियां जैसे आरवी, के जी डेनिम, नंदन एक्जिम और जिंदल वर्ल्डवाइड बढ़ी लागत का पूरा भार कपड़े के खरीदारों पर टालने में सफल नहीं हो पाए हैं। मसलन, के जी डेनिम जो सालाना 200 लाख मीटर डेनिम का उत्पादन करती है, अपने कपड़ा ग्राहकों को खुश रखने और बढ़ रही लागतों के बीच फंसी है।
हालांकि कंपनी ने कपड़े की कीमतों में 15-20 फीसदी बढ़ोतरी कर ऊंची लागतों के भार को कम करने की कोशिश की है, लेकिन फिर भी इसे मुनाफे में 10 फीसदी का नुकसान हो रहा है। ज्यादातर डेनिम निर्माताओं ने कपड़े के दाम बढ़ाए हैं। आरवी डेनिम के चेयरमैन ने कहा, 'डेनिम कपड़े कीमतें 84-86 रुपये से 93-95 रुपये प्रति मीटर तक बढ़ गई है।'
इसी तरह, के जी डेनिम ने कपड़े के दाम पिछले एक महीने में 90-100 रुपये से बढ़ाकर 110-115 रुपये प्रति मीटर कर दिया है। हालांकि, इस तरह का कदम दोहराना काफी जोखिम भरा होगा। के जी डेनिम के एक सूत्र के मुताबिक, 'डेनिम की कीमतों में दोबारा वृद्धि के सिवाय कोई रास्ता नहीं है। के जी डेनिम के साथ पूरा डेनिम उद्योग कीमतों में 15-25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है।
कपास और कपास सूत के दाम पिछली दो तिमाहियों में क्रमश: 25 फीसदी और 30-35 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। लिहाजा अभी भी लागतों में 10 फीसदी की अतिरिक्त बढ़त बचती है जिसकी भरपाई मुनाफा घटाकर की जा रही है।
चीन में कपास की फसल खराब होने और पाकिस्तान की ओर से कपास निर्यात पर 15 फीसदी निर्यात शुल्क लगाए जाने की वजह से घरेलू कपास और सूत उत्पादक ही सम्पूर्ण मांग को पूरा कर रहे हैं। घरेलू के साथ-साथ विदेशी कपड़ा खरीदार और परिधान निर्माता इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि अंतिम उपभोक्ता कीमत वृद्धि का पूरा भार उठा सकते हैं।
अहमदाबाद के चिरिपल समूह की डेनिम इकाई नंदन एक्जिम के कार्यकारी अधिकारी दीपक चिरिपल का कहना है, 'कपड़ा खरीदार अंतिम उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के इच्छुक नहीं हैं। अगर डेनिम निर्माता उन्हें ज्यादा दाम चुकाने के लिए बाध्य करते हैं, तो वे दूसरे देशों में दूसरे विकल्प तलाश सकते हैं जो भारतीय डेनिम कपड़ा निर्माताओं के लिए नुकसानदेह होगा। लिहाजा, डेनिम निर्माताओं के मुनाफे पर 10 फीसदी की मार पड़ रही है।
कच्चे माल के दाम बढ़ने से मुनाफे में आई कमी
कच्चे माल के दाम बढ़ने से लागत खर्च में 12-15 प्रतिशत की बढ़ोतरीडेनिम कंपनियां अप्रैल की शुरुआत से अब तक बढ़ा चुकी हैं 10-15 प्रतिशत दामबढ़ी हुई लागत का पूरा बोझ ग्राहकों पर नहीं डाल सकी हैं कंपनियां, मुनाफे में 10 प्रतिशत की कमी (बीएस हिंदी)
24 मई 2010
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