चंडीगढ़ May 07, 2010
इस साल रबी के मौसम में गेहूं खरीद के रिकॉर्ड अनुमानों से दूर पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में कम खरीदारी को देखते हुए अब भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को देश में गेहूं की कुल सरकारी खरीद कम रहने की आशंका है।
पंजाब और हरियाणा में मार्च में तापमान ज्यादा रहने की वजह से शुरुआती दिनों में बाजार में गेहूं की भारी आवक देखने को मिली थी। हालांकि देर से बुआई वाली किस्मों पर ज्यादा गर्मी का असर हुआ है और उत्पादकता उम्मीद से कम रही है। लिहाजा गेहूं की कुल खरीद भी प्रभावित हुई है।
पिछले साल पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश का केंद्रीय पूल में कुल योगदान 215.81 लाख टन रहा था। एफसीआई ने 2009-10 में सभी राज्यों से 253.82 लाख टन गेहूं खरीदा था। इस तरह गेहूं की कुल सरकारी खरीद में इन तीन राज्यों का योगदान दो तिहाई से भी ज्यादा था।
एफसीआई ने इस साल ज्यादा गेहूं खरीद का अनुमान लगाया था और शुरुआती लक्ष्य 262 लाख टन कर रखा गया था। पर तीन प्रमुख राज्यों में खरीद कम रहने की वजह से कुल सरकारी खरीद 250 लाख टन रहने की संभावना है। खाद्य निगम से मिली जानकारी के मुताबिक 6 मई 2010 तक कुल खरीद 206 लाख टन रही थी।
पंजाब और हरियाणा में गेहूं खरीद का काम लगभग पूरा हो चुका है। चंडीगढ़ और पंचकूला के एफसीआई अधिकारियों ने सूचना दी कि इन दोनों राज्यों में 99.9 फीसदी खरीद का काम पूरा हो चुका है। ऐसे में देश में कुल गेहूं खरीद इस साल अनुमान से कम रहने की आशंका है। पिछले साल पंजाब ने 107.25 लाख टन का योगदान किया था।
इसी तरह हरियाणा से 69.24 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। उत्तरप्रदेश से 38.82 लाख टन गेहूं प्राप्त हुआ था। एफसीआई के सूत्रों के मुताबिक इस साल पंजाब से 102-103 लाख टन गेहूं खरीद की उम्मीद है। हरियाणा से 63-64 लाख टन और उत्तरप्रदेश से 35 लाख टन गेहूं खरीदा जा सकता है।
इस साल पंजाब ने 115 लाख टन, हरियाणा ने 70 लाख टन और उत्तरप्रदेश ने 40 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया था। लक्ष्य की तुलना में पंजाब 12 लाख टन, हरियाणा 6-7 लाख टन और उत्तरप्रदेश 5 लाख टन पीछे चल रहा है।
इन राज्यों के मुकाबले मध्यप्रदेश से अच्छी खरीद से उम्मीद की किरण दिखी है। पिछले साल राज्य में 19.68 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। 6 मई तक इस साल राज्य में 27.6 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है। 30 जून तक गेहूं की खरीद जारी रहेगीा इससे राज्य से बेहतर नतीजे की उम्मीद है।
लगा रहेगा निर्यात पर प्रतिबंध
भारत में गेहूं का भंडारण लक्ष्य से 7 गुना ज्यादा हो गया है। लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि गेहूं के निर्यात पर 3 साल से लगा प्रतिबंध हटाने पर फैसला हाल फिलहाल में होने की उम्मीद नहीं है।
विश्लेषकों और कारोबारियों ने सरकार से कहा है कि अभी भी महंगाई दर का दबाव बना हुआ है। ऐसी स्थिति में इस साल मॉनसून के 4 महीने (सितंबर तक) इंतजार किए जाने के बाद ही फैसला किया जाना चाहिए। भारत में खेती के लिए बारिश बहुत महत्वपूर्ण है और उत्पादन में इसकी भूमिका अहम है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत में 1 मई को गेहूं का स्टॉक 308 लाख टन था, जबकि स्टॉक का लक्ष्य 40 लाख टन है। वहीं चावल का स्टॉक 122 लाख टन के लक्ष्य की तुलना में बढ़कर 262 लाख टन पहुंच गया है। उन्होंने अपना नाम दिए जाने से इसलिए मना कर दिया कि वे मीडिया को आंकड़े देने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
सरकार खाद्यान्न के इस स्टॉक को कम करने पर विचार कर रही है। बुधवार को सरकार ने फैसला किया कि अगले 6 महीनों के दौरान राज्य सरकारों को सब्सिडी दरों पर 30 लाख टन अनाज दिया जाएगा। कारोबारियों का कहना है कि लगातार 4 साल से गेहूं की बंपर पैदावार होने की वजह से भंडारण का संकट हो गया है।
खासकर पंजाब और हरियाणा में संकट इतना है कि खुले मैदान में अनाज रखना पड़ रहा है। हैदराबाद की कर्वी कमेंट्रेड के वरिष्ठ विश्लेषक वीरेश हिरेमथ ने कहा कि निर्यात की अनुमति मॉनसून समाप्त होने के बाद मिल सकती है। मौसम विभाग ने सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी की है। (बीएस हिंदी)
08 मई 2010
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