कोच्चि May 18, 2010
काली मिर्च के वैश्विक बाजार में आने वाले सप्ताह में तेजी आ सकती है। इसकी वजह यह है कि वियतनाम के आपूर्तिकर्ता स्टॉक को निकालने की जल्दबाजी में नहीं हैं।
केरल की ही तरह से वियतनाम के किसान भी मसालों का स्टॉक जमा कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि जून-जुलाई में कीमतों में तेजी आएगी और उस समय बिक्री से बेहतर मुनाफा होगा। हाल के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वियतनाम ने पहले ही मई के मध्य के लिए 50,000 टन से ज्यादा माल की शिपिंग कर दी है।
बड़े निर्यातकों और प्रसंस्करणकर्ताओं के पास इस समय करीब 10,000 टन का स्टॉक है, जिसकी बिक्री यूरोप और अमेरिका के उपभोक्ताओं को की गई है। इसके अलावा शेष 40,000 टन माल किसानों के पास है।
काली मिर्च की वैश्विक मांग की ज्यादातर आपूर्ति वियतनाम से होती है। इसे देखते हुए किसानों के माल बेचने के तरीके में बदलाव का व्यापक असर होने की उम्मीद है। इस समय वियतनाम के कारोबारी बड़े पैमाने पर बिक्री के मूड में नहीं हैं, जैसा कि 2 सप्ताह पहले था। वहां पर एएसटीए ग्रेड की काली मिर्च की कीमतें 3600-3700 डॉलर प्रति टन हैं।
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वियतनाम में कुल उत्पादन 1,00,000 से 1,10,000 टन के बीच है। इसकी वजह से इंडोनेशिया में फसल तैयार होने तक वैश्विक उपभोक्ता वियतनाम पर निर्भर हैं।
उम्मीद की जा रही है कि इंडोनेशिया की फसल जुलाई-अगस्त में बाजार में आ जाएगी। इसके साथ ही इंडोनेशिया के पास स्टॉक भी कम है और वे काली मिर्च की बिक्री 3600 से 3650 डॉलर प्रति टन के भाव कर रहे हैं। ब्राजील भी कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है और 2009 में वहां कुल 5,000 टन का स्टॉक था। वे भी 3650-3700 डॉलर प्रति टन के भाव कारोबार कर रहे हैं।
इस समय बाजार में एक ही संकट- यूरोप के बाजारों का आर्थिक संकट है, जिसकी वजह से यूरोप से खरीदारी प्रभावित हो रही है। साथ ही अमेरिकी खरीदार भी आक्रामक रूप से खरीदारी नहीं कर रहे हैं। लेकिन इंडोनेशिया और ब्राजील में फसल में देरी और कम स्टॉक रहने की वजह से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले सप्ताहों में काली मिर्च की कीमतों में मजबूती बनी रहेगी।
भारत में कीमतें 3775 डॉलर प्रति टन के उच्चतम स्तर पर हैं, क्योंकि यहां पर स्थानीय मांग बहुत ज्यादा है। यहां स्थानीय मांग कर्नाटक से पूरी होती है, क्योंकि केरल से आपूर्ति कम है। इस साल राज्य से ज्यादा मात्रा में काली मिर्च बाजार में नहीं आई है, क्योंकि किसानों ने बाद में ज्यादा कीमतों की उम्मीद में माल रोक रखा है।
यहां के उत्पादकों को उम्मीद है कि कीमतें जल्द ही 20,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच जाएंगी। वे बड़ी उत्सुकता से इसका इंतजार कर रहे हैं। इस तरह से देखें तो घरेलू बाजार में आपूर्ति की स्थिति कमजोर है और इसकी वजह से कीमतों में तेजी है। वैश्विक स्तर पर स्टॉक में कमी से यह संकेत मिल रहा है कि आने वाले सप्ताहों के दौरान कीमतों में तेजी आएगी।
वैश्विक बाजार में कम है स्टॉक
वियतनाम के आपूर्तिकर्ता स्टॉक निकालने की जल्दबाजी में नहींकाली मिर्च की वैश्विक मांग में ज्यादा हिस्सेदारी वियतनाम की, लेकिन जरूरतों को देखते हुए माल की आपूर्ति नहींइंडोनेशिया की फसल जुलाई-अगस्त तक बाजार में पहुंचने की उम्मीदभारत में घरेलू मांग ज्यादा होने की वजह से कीमतों में तेजी, किसान माल बेचने की जल्दबाजी में नहीं (बीएस हिंदी)
20 मई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें