नई दिल्ली May 12, 2010
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की अग्रिम इलेक्ट्रॉनिक नीलामी (फॉरवर्ड ई-ऑक्शन) को अपनी ही अनुषंगी कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल ) की ओर से विरोध झेलना पड़ रहा है।
कंपनी का मानना है कि अग्रिम इलेक्ट्रॉनिक नीलामी पारदर्शी सौदा नहीं है। कोयला मंत्रालय ने हाल ही में इस मसले पर राय लेने के लिए कोयला कंपनियों की बैठक बुलाई थी। बीसीसीएल ने ई-नीलामी के अमल से संबंधित चिंताओं को सामने रखा।
मंत्रालय का मानना है कि हाजिर कारोबार में ई-नीलामी स्थापित हो चुकी है, लेकिन अग्रिम ई-नीलामी को स्थापित किया जाना अभी बाकी है। इसमें तय समयावधि के लिए नीलामी के जरिए कोयले की बिक्री की जाती है। इसकी शुरुआत 2009 के मध्य में की गई थी।
कीमत निर्धारण आपूर्ति में कुछ सख्तियों की वजह से अग्रिम ई-नीलामी कोयला कंपनियों के बीच लोकप्रिय नहीं हो सकी। बीसीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि बोली लगाने वाले और अंतिम उपभोक्ता कोयले के अलग ब्रांड चाहते हैं। मंत्रालय कोयले के अग्रिम ई-नीलामी को बढ़ावा देना चाहता है और इसलिए जुलाई में एक और समीक्षा की जाएगी।
सीआईएल के चेयरमैन पार्थ भट्टाचार्य ने कहा, 'सीआईएल पहले से ही अग्रिम ई-नीलामी की कार्यविधि की समीक्षा कर रहा है और इसमें आने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिए कदम उठा रहा है। हमें आशा है कि आने वाले दिनों में यह और ज्यादा लोकप्रिय होगा।'
सीआईएल मौजूदा आरक्षित कीमतों की भी समीक्षा करने जा रही है ताकि आरक्षित कीमतें अग्रिम ई-नीलामी के जरिए कोयले की आपूर्ति में रुकावट न खड़ी करे। कोयला मंत्रालय ने कंपनियों से तय तारीख से 7 दिनों के भीतर मूल्य की वापसी करने को कहा है। इससे ज्यादा देरी होने पर कोयले की नीलामी करने वाले को ब्याज का भुगतान करना होगा।
कोयला मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, 'संबंधित नीलामी कर्ता को धन वापसी में देरी पर बीसीसीएल के विरोध पर ऐसा किया गया है।' (बीस हिंदी)
12 मई 2010
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