मुंबई May 05, 2010
केंद्र सरकार कच्ची और सफेद दोनों तरह की चीनी के आयात पर 60 फीसदी आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रही है।
आने वाले सत्र में देश का चीनी उत्पादन पर्याप्त रहने की उम्मीद है। ऐसे में चीनी के अतिरिक्त आयात को रोकने के लिए सरकार यह फैसला लेने का मन बना रही है। मौजूदा समय में चीनी के आयात पर कोई शुल्क नहीं लग रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उम्मीद है कि संसद के चालू बजट सत्र के बाद यह फैसला आ सकता है। 2009-10 के चीनी सत्र में कम उत्पादन अनुमानों को देखते हुए सरकार ने आयात शुल्क हटा दिया था।
चीनी की आसमान छूती कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने शून्य आयात शुल्क का फैसला लिया था। इस समय तक उद्योग ने 42 लाख टन कच्ची और सफेद चीनी का आयात किया है। सरकार ने शून्य आयात शुल्क की छूट अवधि को दिसंबर तक बढ़ाया और चीनी के थोक उपभोक्ताओं के लिए छूट अवधि अगले साल पहली अप्रैल तक है।
सूत्रों के मुताबिक चीनी उत्पादन अनुमानों की समीक्षा के मुताबिक देश का चीनी उत्पादन 1.85 करोड़ टन रहने की संभावना है। इसके साथ ही देश के पास 47 लाख टन का भंडार भी मौजूद है। इस तरह देश की उपभोग जरूरत 2.2 करोड़ टन के मुकाबले देश के पास 2.32 करोड़ टन चीनी उपलब्ध होगी।
सूत्रों के मुताबिक चीनी के उत्पादन और भंडार को देखते हुए केंद्र का मानना है कि अब शुल्क मुक्त आयात की जरूरत नहीं है। सूत्रों का कहना है कि आयात पर प्रतिबंध लगाने के बजाए सरकार 60 फीसदी आयात शुल्क लगाने का मन बना रही है ताकि उद्योग के लिए चीनी का आयात निरर्थक साबित हो जाए।
सूत्रों के मुताबिक देश चीनी के अत्यधिक उत्पादन की ओर जा रहा है और हो सकता है कि आने वाले सालों में देश शुद्ध रूप से चीनी का निर्यात भी करे।
60 फीसदी शुल्क लगाने पर विचार
अगले सत्र में पैदावार बेहतर रहने की उम्मीद के चलते कच्ची और सफेद चीनी के आयात पर 60 फीसदी आयात शुल्क लगाने पर विचारचालू बजट सत्र के बाद आ सकता है फैसलाअब शुल्क मुक्त आयात की जरूरत नहीं (बीएस हिंदी)
05 मई 2010
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