नई दिल्ली May 05, 2010
खाद्यान्न के केंद्रीय पूल में सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्य पंजाब में गेहूं उत्पादन एक स्तर के आसपास स्थिर होता नजर आ रहा है।
पिछले चार साल से गेहूं उत्पादन में बहुत ही मामूली गिरावट या बढ़ोतरी हो रही है। कभी सूखा तो कभी कीडे क़े प्रकोप से उत्पादन प्रभावित होने की खबरें अब पंजाब के लिए सामान्य हो चली है। हालांकि पंजाब के कृषि वैज्ञानिक जल्द ही गेहूं की ऐसी किस्म विकसित करने में जुटे हैं, जिस पर न तो कीडे क़ा असर होगा और न ही खास गर्मी का।
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2008-09 के दौरान सरकार ने पंजाब से 107.25 लाख टन गेहूं की खरीदारी की थी। इस साल 23 अप्रैल तक सरकार पंजाब से 42.24 लाख टन गेहूं खरीद चुकी है।
लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के निदेशक (अनुसंधान) पीएस मिन्हास बताते हैं, 'इस साल हमलोग पंजाब में गेहूं की बंपर फसल की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन तीन दिन के बढ़े हुए तापमान से गेहूं के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले कमी आ गई। पिछले साल कीड़े लगने के कारण उत्पादन में बहुत ही मामूली बढ़ोतरी हो पाई। अब हमलोग जल्द ही गेहूं की ऐसी किस्म ला रहे हैं जो इन परेशानियों से मुक्त होगी।'
हालांकि वे यह भी कहते हैं कि सिर्फ चीन एवं यूरोप के देशों में गेहूं की उत्पादकता पंजाब से अधिक है। लेकिन उन देशों में गेहूं की फसल अवधि 240 दिनों की होती है जबकि भारत में मात्र 150 दिनों की। यूरोपीय देशों में गेहूं की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 6000 किलोग्राम से अधिक है।
पंजाब में गेहूं उत्पादकता के स्थिर होने के लिए पानी के स्तर को भी वैज्ञानिक जिम्मेदार मान रहे हैं। उनके मुताबिक जमीन के 7 इंच के नीचे वाले भू-भाग कठोर हो चुके हैं। इससे पौधों की जड़े बहुत फैल नहीं पाती है।
इसके अलावा 1965 से गेहूं एवं धान का फसल चक्र लगातार जारी है। इसमें कोई बदलाव नहीं होने से भी उत्पादकता स्थिर होती जा रही है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि पंजाब में रकबे को भी बढ़ाने की कोई खास गुंजाइश नहीं है। यहां पहले से ही 95 प्रतिशत जमीन पर खेती हो रही है।
अमेरिकी एजेंसी का अनुमान भारत में गेहूं उत्पादन रहेगा कम
अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने तेज गर्मी पड़ने से फसल को होने वाले नुकसान के चलते चालू फसल वर्ष में भारत के गेहूं उत्पादन का अनुमान 3.65 प्रतिशत घटाकर 7.9 करोड़ टन कर दिया है। इससे पहले यूएसडीए ने भारत में 8.2 करोड़ टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया था।
साल 2009 में देश में 8.068 करोड़ टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। 2010-11 के लिए गेहूं की कटाई 1 अप्रैल से शुरू होकर जून तक चलेगी। यूएसडीए ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है, 'तापमान में अचानक बढ़ोतरी से फसल को होने वाले नुकसान को देखते हुए हमने देश में गेहूं उत्पादन का अनुमान घटा दिया है।'
बुवाई रकबा बढ़कर 2.87 करोड़ हेक्टेयर पहुंचने के बावजूद उत्पादन में कमी आने की आशंका है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अधिक तापमान का असर उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा में अधिक रहने की आशंका है जहां गेहूं की बुवाई देर से की जाती है।
पांच साल में उत्पादन
वर्ष रकबा उत्पादन उत्पादकता2005-06 34।68 14493 417906-07 34.67 14596 421007-08 34.88 15720 450708-09 35.26 15733 446209-10 35.65 15422 4332रकबा - लाख हेक्टेयर में उत्पादन - हजार टन मेंउत्पादकता - किलोग्राम प्रति हेक्टेयर स्त्रोत - पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (बीएस हिंदी)
06 मई 2010
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