नई दिल्ली May 03, 2010
चावल की कीमतों में गत एक माह के दौरान 300-400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। यह गिरावट मुख्य रूप से बासमती या बासमती सरीखे चावलों में दर्ज की गई है।
बासमती चावल के निर्यात में मार्च के मुकाबले अप्रैल में 25-30 फीसदी की कमी आई है। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) की रिपोर्ट के मुताबिक गत अप्रैल के पहले सप्ताह में चावल की औसत कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल थी जो कि अब घटकर 2150 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गई है।
बासमती चावल का निर्यात भाव एक माह में घटकर 1100 डॉलर प्रति टन से 950 डॉलर प्रति टन हो गया है। चावल की मांग में कमी से मिलर्स के काम में भी 40 फीसदी तक की कमी आई है। चावल निर्यातकों के मुताबिक खाड़ी के देशों में मई-जून के दौरान अधिकतर लोग छुट्टियां मनाने यूरोप या किसी और जगह चले जाते हैं। ऐसे में चावल की मांग कम हो जाती है।
कारोबारी चावल के पुराने स्टॉक को निकालने के बाद ही नए चावल का ऑर्डर देंगे। निर्यातक बताते हैं कि इन दिनों खाड़ी देशों से भुगतान मिलने में भी विलंब हो रहा है। चावल निर्यात संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया कहते हैं, 'ऐसी स्थिति लगभग हर साल आती है और उम्मीद है अगले डेढ़-दो महीनों में चावल निर्यात की पुरानी रफ्तार लौट आएगी।'
उन्होंने बताया कि वर्ष 2009-10 के दौरान लगभग 31 लाख टन चावल निर्यात का अनुमान है जो कि वर्ष 2008-09 के मुकाबले लगभग 10 लाख टन अधिक है। निर्यातकों के मुताबिक इस साल बासमती चावल का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले लगभग 35 फीसदी अधिक है और इसका असर भी बाजार पर देखने को मिल रहा है।
चावल के स्थानीय थोक व्यापारी कहते हैं कि अमूमन गर्मी में चावल की मांग अधिक हो जाती है। लेकिन इस साल चावल का बाजार पड़ा हुआ है। नई खरीदारी इसलिए नहीं है कि पुराने स्टॉक काफी बचे हैं। अच्छे किस्म के सभी चावलों के भाव 4 रुपये प्रति किलोग्राम तक टूट चुके हैं।
मसूरी के भाव में 5-6 रुपये प्रति किलोग्राम तक की गिरावट है। लेकिन साधारण किस्म के मोटे चावल के भाव अपने पुराने स्तर पर कायम है। हरियाणा स्थित चावल मिलर्स के मुताबिक वे फिर से निर्यात मांग निकलने का इंतजार कर रहे हैं। काम में कमी से उनकी मिलों में नए माल के लिए जगह नहीं निकल पा रही है। (बीएस हिंदी)
05 मई 2010
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