मुंबई May 02, 2010
आर्सेलरमित्तल के मुखिया लक्ष्मी निवास मित्तल ने पिछले शुक्रवार को जब फाइनैंशियल टाइम्स से कहा कि लौह अयस्क के भाव में आई गर्मी से इस्पात उद्योग में भी उतार चढ़ाव आएगा और इस धातु के दाम बढ़ेंगे, तो वह भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की चिंताओं को ही बयां कर रहे थे, जिन्हें नए वित्त वर्ष की आमद के साथ ही महंगाई के नए प्रेत ने परेशान करना शुरू कर दिया है।
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस्पात का भाव पिछले साल भर में कम से कम 9 फीसदी बढ़ा है, इसलिए महंगाई पर इसका असर अच्छा खासा है। सीमेंट को छोड़ दें तो ज्यादातर औद्योगिक जिंसों और कीमती धातुओं के भाव तेजी से चढ़े हैं (वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच शुक्रवार को सोने का भाव 17,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया) और निकल जैसी धातुओं की कीमत तो चीन और भारत में बढ़ती मांग की वजह से दोगुनी हो चुकी है।
आरबीआई की नज़र
इस बात पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की भी नजर है। पिछले महीने अपनी वार्षिक मौद्रिक नीति में बैंक ने साफ कहा, 'दुनिया भर में जिंस के भाव बढ़ने से महंगाई में इजाफा होने का खतरा है।'
डन ऐंड ब्रैडस्ट्रीट को लगता है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई इससे पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े को भी मात दे देगी। विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ते रहेंगे क्योंकि महंगे जिंस लागत भी बढ़ाएंगे। अगर मॉनसून अच्छा रहा तो खाद्य वस्तुओं के दाम तकलीफ नहीं देंगे, लेकिन बिजली के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक की महंगाई इस वित्त वर्ष में 7 फीसदी के आसपास रहेगी।
आदित्य बिड़ला समूह में मुख्य अर्थशास्त्री अजित रानाडे के मुताबिक जिंस के भाव में उतार चढ़ाव हद पार कर रहा है और मौद्रिक नीति में महंगाई को काबू करने पर जोर होना चाहिए। चीन से मांग के अलावा जिंस बाजार में अटकलें भी भाव बढ़ाने का काम कर रही हैं। रानाडे कहते हैं, 'आरबीआई को किसी भी तरह महंगाई पर काबू करना होगा। ब्याज दरें बढ़ाना एक तरीका है। लेकिन इस वक्त जिंस भावों की उड़ान फिक्र का सबब है।'
मांग संग बढ़ेगी महंगाई
गोल्डमैन सैक्स ने भी पिछले महीने औद्योगिक जिंसों की तेज चाल पर चिंता जताई थी। उसने कहा कि तेल, इस्पात, लौह अयस्क इसमें असली आग लगा रहे हैं। केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस की भी यही राय है।
उन्होंने कहा कि धातुओं के अंतरराष्ट्रीय भाव बढ़ने से देश में कच्चे माल की कीमत बढ़ जाएगी। देश में निवेश और औद्योगिक उत्पादन पहले से ज्यादा है, इससे आगे जाकर मांग के साथ महंगाई बढ़ सकती है।
क्रिसिल में मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, 'पहले कम आपूर्ति की वजह से महंगाई बढ़ रही थी, लेकिन अब मांग भी इसकी वजह बन रही है। कम आपूर्ति की दिक्कत कृषि की वजह से ही है और मॉनसून अच्छा होने पर यह भी खत्म हो जाएगी। लेकिन बढ़ती मांग को काबू में लाने के लिए मौद्रिक नीति में इंतजाम करने होंगे।'
कंपनियां भी इससे परेशान हैं क्योंकि उनके मुनाफा मार्जिन पर असर पड़ रहा है। असर घटाने के लिए उन्हें उत्पाद के दाम बढ़ाने ही पड़ेंगे। इस्पात इंडस्ट्रीज के कार्यकारी निदेशक (वित्त) अनिल सुरेखा ने कहा, 'इस्पात की मांग बढ़ने से कच्चे माल की आपूर्ति करने वालों ने दाम बढ़ा दिए। इसलिए इस्पात निर्माताओं को भी दाम बढ़ाने पड़े।'
देश की सबसे बड़ी दोपहिया निर्माता कंपनी हीरो होंडा मोटर्स के मुख्य वित्त अधिकारी रवि सूद ने कहा, 'इस्पात की कीमत बढ़ने से दोपहिया जैसे उत्पादों की लागत भी बढ़ रही है। अगर इसका असर मुनाफे पर पड़ता रहा तो बाजार का माहौल देखकर हम उत्पाद की कीमत बढ़ाने पर विचार करेंगे।'
किस आसमान तक किसकी उड़ान
जिंस भाव 2009 2010 इज़ाफातांबा 4515 7430 64।56जस्ता 1408 2285 62.29एल्युमीनियम 1430.5 2255 57.64निकल 11505 26300 128.60सीसा 1355 2230 64.58सोना* 888.2 1179.2 32.76कच्चा तेल** 49.1 85.99 75.13इज़ाफा प्रतिशत में भाव डॉलर प्रति टन में*डॉलर प्रति औंस **डॉलर प्रति बैरल (बीएस हिंदी)
05 मई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें