नई दिल्ली April 29, 2010
राजस्थान के सरसों मिलर्स किसी और काम की संभावना तलाश रहे हैं।
सरसों की पेराई पिछले दो साल से लगातार कम हो रही है। इस साल सरसों पेराई करने वाली मिलें क्षमता से आधा काम कर रही है। पिछले साल भी काम में कमी के कारण सरसों मिलर्स को घाटे का सामना करना पड़ा था।
राजस्थान के सरसों मिलर्स ने बताया कि पिछले साल तेल की मांग कम होने के कारण सिर्फ छह माह के लिए ही मिलें चली थीं। इस साल हालत और भी बदतर है। बाजार में बने रहने के लिए उन्हें लागत मूल्य के आसपास सरसों तेल की बिक्री करनी पड़ रही है।
श्रीगंगानगर स्थित सरसों मिल के मालिक पवन कुमार अनेजा कहते हैं, 'कच्ची घानी सरसों तेल की लागत 45.25 रुपये प्रति किलोग्राम बैठ रही है और मैं इसे बाजार में 45.50-45.75 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बेच रहा हूं। जिन सरसों मिलर्स का कोई और काम नहीं है उन्हें तो काम बंद करना ही पड़ेगा।'
सरसों तेल की मांग में पिछले 10 दिनों से कमजोरी का रुख है लिहाजा इसकी थोक कीमत 46 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास पहुंच गई है। मांग नहीं निकलने से राजस्थान के तेल उत्पादकों ने उत्पादन में भी कटौती कर दी है।
अनेजा बताते हैं, 'मेरे पास दो मिलें हैं। पहले हम रोजाना 30 टन सरसो तेल का उत्पादन कर रहे थे अब यह प्रति दिन 20 टन रह गया है। यानी कि उत्पादन में 30 फीसदी तक की कटौती करनी पड़ी है।' राजस्थान में सबसे अधिक सरसों का उत्पादन होता है।
मिलर्स के मुताबिक वे तेल का स्टॉक रखने की भी स्थिति में नहीं है। क्योंकि आने वाले समय में तेल के भाव और कम हो जाते हैं तो उन्हें घाटे का सामना करना पड़ेगा। और तेल में तेजी की कोई संभावना नहीं दिखती।
अलवर के तेल मिल मालिक कमल अग्रवाल कहते हैं, 'पाम तेल की कीमत 40 रुपये प्रति किलोग्राम है तो सरसों तेल 47 रुपये प्रति किलो के आसपास है। ऐसे में पहले पाम तेल ही बिकेगा। पाम तेल के आयात को देखते हुए हमने तो अब सरसों तेल की मांग निकलने की उम्मीद छोड़ दी है।'
वे कहते हैं कि पिछले दो साल में 25 फीसदी से अधिक सरसों मिलर्स ने कोई और कारोबार अपना लिया है। सरसों तेल की मांग में कमी से पिछले एक सप्ताह में सरसों के दाम 2150 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2070-80 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए हैं। (बीएस हिंदी)
01 मई 2010
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