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14 अक्तूबर 2009

फिर से चमकने को तैयार हीरा

मुंबई October 13, 2009
पिछले साल आर्थिक मंदी के भंवर में फंसकर अपनी रौनक खो चुका हीरा कारोबार एक बार फिर से चमक उठा है।
त्योहारी मौसम में देशी और विदेशी बाजार से आई मांग को पूरा करने के लिए कारीगारों की छुट्टी में कटौती की गई है। जहां पिछली दीवाली में कारीगरों की छंटनी और वेतन में कटौती की जा रही थी, वहीं इस बार कारीगरों को अपने साथ बनाए रखने के लिए उनकी तनख्वाह में बढ़ोतरी और बोनस दिया जा रहा है।
हीरा उद्योग में आम तौर पर दीवाली के समय 45 से 60 दिनों तक कारखानों को पूरी तरह से बंद किया जाता रहा है, लेकिन पिछली बार मंदी के कारण विदेशी मांग पूरी तरह से ठप पड़ गई थी, जिसकी वजह से कारखानों को चार महीनों के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद भी जिन कारखानों में काम शुरू हुआ, वहां मुश्किल से 40 फीसदी कारीगारों को ही काम मिल पाया।
लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदलती नजर आ रही है। त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए मुश्किल से एक सप्ताह के लिए कारखानों को बंद करने की योजना है। देश के सबसे बड़े हीरा बाजार पंचरत्ना के सचिव एवं नील व्हाइट एक्सपोर्ट कंपनी के प्रबंध निदेशक नरेश मेहता के अनुसार, इस बार कारीगरों की कमी के चलते कारखानों में सिर्फ 6-7 दिन की छुट्टी रहने वाली है।
इस समय यह कहना कि हीरा की मांग बहुत ज्यादा हो गई है सही नहीं है, बल्कि जो मांग है उसे पूरा करने के लिए कारीगर कम पड़ रहे हैं। सी महेंद्रा डायमंड एक्सपोर्ट के चेयरमैन संजय शाह के अनुसार, दो साल पहले जितने कारीगर काम कर रहे थे, उनकी संख्या घटकर महज 10 फीसदी रह गई है। अगर वह भी छुट्टी पर चले जाएंगे तो काम चलाना मुश्किल हो जाएगा।
इस बात को कंपनियां भी समझ रही हैं, यही वजह है कि कारीगरों को रोककर रखने के लिए मोटा बोनस दिया जा रहा है। दीवाली के बाद क्रिसमस और वेलेंटाइन डे पर अच्छी मांग होने की उम्मीद में कारोबारियों ने अच्छी मात्रा में कच्चा माल (रफ डायमंड) खरीद रखा है, जिसे रोकने पर उन्हें घाटा हो सकता है। कारोबारियों की यही सोच कारखानों को दिन-रात चालू रखना चाहती है।
दूसरी ओर, डॉलर के कमजोर होने ही आशंका से कोई भी कारोबारी अपने पास ज्यादा माल रोककर नहीं रखना चाहता है। बाजार सूत्रों की माने तो पिछले एक महीने में जितने कच्चे हीरे की खरीद की गई है, उससे मुश्किल से 30 फीसदी हीरा ही तैयार किया जा सका है। इस समय जो मांग है, वह बड़े आकार के हीरों की है।
इस मांग को कारोबारी स्थिर मांग नहीं समझते हैं। ऐसे में यदि ज्यादा कारीगरों की भर्ती कर ली जाती है और बाद में मांग में कमी आ गई तो फिर से कारीगरों को निकालना पड़ेगा, जो कारोबारी के लिए मुश्किल हो सकता है।
हीरा कारीगरों को फिर से मिलने लगा है काममोटी पगार के साथ बोनस का भी प्रलोभनकाम बढ़ने से इस बार दीवाली पर 4 से 7 दिन ही होंगे कारखाने बंदमांग पूरी करने के लिए दिन-रात करना पड़ रहा है काम (बीएस हिन्दी)

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