नई दिल्ली December 11, 2008
चीनी उद्योग ने सरकार के उस संभावित प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसमें आयातित कच्ची चीनी के बदले समान वजन की कैसी भी चीनी के निर्यात की छूट मिलने वाली है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा नियम के तहत साफ करने के लिए जो चीनी मंगाई जाती है, उसी का निर्यात करना बाध्यकारी है। मौजूदा फेरबदल के बाद इसी बाध्यता को समाप्त किया जा रहा है।प्रस्तावित प्रावधान को लेकर, घरेलू चीनी उद्योग में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। इतना ही नहीं, अपनी आपत्तियों को लेकर भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय खाद्य और कृषि मंत्री शरद पवार से मुलाकात की है। इस्मा का कहना है कि सरकार के इस कदम से चीनी का आयात काफी बढ़ जाएगा जो अंतत: देश के चीनी उद्योग के लिए घातक होगा। मालूम हो कि कच्ची चीनी का आयात करने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। इस लाइसेंस की शर्त है कि कच्ची चीनी का आयात करने वाले कारोबारियों को दो साल के भीतर साफ करके वही चीनी निर्यात करना होता है। बदलाव को मंजूरी मिल गई तो आयातित कच्ची चीनी के बदले स्थानीय स्तर पर तैयार चीनी भी निर्यात की जा सकती है। अरसे से कई मिलों और कारोबारी संस्थाओं की मांग रही है कि कच्ची चीनी के आयात पर लागू मौजूदा बाध्यता खत्म की जाए।हालांकि इस्मा और इससे जुड़े दक्षिण भारतीय चीनी मिल संघ (सिस्मा) दोनों का दावा है कि मौजूदा सीजन में चीनी का उत्पादन 2.05 करोड़ टन के अनुमान से नीचे जाने के बावजूद बाजार में इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अभी पर्याप्त समय है।
इस बीच सरकार ने कहा है कि वह चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। फिलहाल सरकार और सही अनुमान की प्रतीक्षा कर रही है। सिस्मा का दावा है कि कच्ची चीनी के आयात में हेरफेर होने से देश में कच्ची चीनी की बहुतायत हो जाएगी। इससे देश में चीनी की कीमतों पर फर्क पड़ेगा।न केवल चीनी की कीमतें प्रभावित होंगी बल्कि चीनी मिलों द्वारा किसानों को होने वाले भुगतान पर भी असर पड़ेगा। चीनी मिलों ने आशंका जाहिर है कि तब गन्ने का रकबा भी इसके चलते घट जाएगा और फिर भविष्य में चीनी के उत्पादन में भी कमी हो जाएगी। 2008-09 सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के लिए चीनी की घरेलू उपलब्धता 2।05 करोड़ टन रहने का अनुमान है।पिछले सीजन के कुल 2.622 करोड़ टन की तुलना में यह अनुमान 28 फीसदी कम है। इसके अलावा चीनी का जमा भंडार 1.1 करोड़ टन है। इस तरह मौजूदा सीजन में बाजार में चीनी की उपलब्धता कुल 3.15 करोड़ टन होने का अनुमान है। करीब 2.2 करोड़ टन की खपत और 20 लाख टन के निर्यात के बाद अनुमान है कि इस साल चीनी का सरप्लस स्टॉक 75 लाख टन का होगा। (बीएस हिन्दी)
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