पिछले तीन-चार दिनों से लगातार हो रही बारिश ने उत्तर और मध्य भारत में खरीफ फसलों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बारिश से मध्य प्रदेश में सोयाबीन की क्वालिटी पर 10 फीसदी तक प्रभावित हो सकती है। इसकी पैदावार भी तीन हजार टन तक घटने की आशंका है। यहां कपास की फसल को भी दो से तीन फीसदी का नुकसान हो सकता है। राजस्थान के कई इलाकों में शनिवार से हो रही बारिश हो रही है जिससे बाजरा, ज्वार, अरहर और सोयाबीन को नुकसान की आशंका जताई जा रही है। पंजाब और हरियाणा की मंडियों में धान की आवक शुरू हो गई है, लेकिन यहां ज्यादा नमी वाले धान की आवक बढ़ने से किसानों और सरकारी खरीद एजेंसियों की परशानी बढ़ सकती है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बेमौसमी बारिश और बाढ़ से खरीफ फसलों को भारी नुकसान होने की आशंका है। जून, जुलाई और अगस्त के मध्य तक देश के अधिकांश हिस्से में सूखे जैसे हालात बनने से खरीफ फसलों खासकर धान की बुवाई में 59.28 लाख हैक्टेयर की भारी कमी आई थी। दक्षिणी राज्यों में बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान धान, कपास, मक्का, मूंगफली, लाल मिर्च तथा हल्दी की फसल को होने की आशंका जताई जा रही है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. शिवाधर मिश्र ने बताया कि मौजूदा बारिश खड़ी फसल के लिए अच्छी नहीं है, खासतौर से बाजरा, मक्का और धान की पछेती किस्मों को नुकसान होगा, जो इस बार अधिक उगाई गई हैं। उनका कहना है कि फसल पककर तैयार खड़ी हैं, जो मौजूदा बारिश में खराब हो सकती हैं। डॉ. मिश्र का कहना है कि जहां नमी खड़ी फसल के लिए नुकसानदायक है, वहीं रबी के लिए यह नमी वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि किसानों को रबी के लिए मौजूदा नमी का लाभ लेते हुए पलेवा कर लेना चाहिए, जिससे इस नमी को खेत में गेहूं और अन्य रबी की फसलों के लिए संरक्षित किया जा सके। अभी तापमान अधिक है और जब तक दिन औसत तापमान 25 डिग्री सेंटीग्रेड नहीं हो जाता, तब तक गेहूं की बुवाई शुरू नहीं हो सकती है।
आंध्रप्रदेश के कृषि उप निदेशक आत्माराम ने बताया कि राज्य के महबूबनगर, करनूल, विजयवाड़ा, कृष्णा तथा गुंटूर जिलों में पिछले पांच-छह दिनों से लगातार बारिश होने से बाढ़ का तांडव जारी है। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को हुआ है। धान की 60 फीसदी और कपास की करीब 30 फीसदी फसल प्रभावित होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि ये शुरूआती आंकड़े हैं तथा अगले तीन-चार दिनों में हालत सुधरने के बाद बाढ़ प्रभावित जिलों में हुए नुकसान का सही पता लग सकेगा।कर्नाटक कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक बी. के. धर्मराजन ने बताया कि राज्य के करीब 15 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। बीजापुर, बगलकोट, रायचूर, गुलबर्ग, कोप्पल और बेल्लारी में खरीफ फसलों धान, कपास, मक्का, मूंगफली, दलहन तथा ज्वार को भारी नुकसान हुआ है।
महाराष्ट्र के कोंकण और पूर्वी महाराष्ट्र के सोलापुर, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, नासिक और पुणो में निचले इलाकों में पानी भरने से दलहनी फसलों के अलावा सोयाबीन, मक्का, ज्वार और बाजरे की फसल को नुकसान का अंदेशा है। मौसम विभाग के अनुसार पूरे उत्तर भारत में अगले कुछ दिनों तक तेज बारिश की आशंका है। इसके अलावा तटीय कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र में भी तेज बारिश 24 से 48 घंटों तक जारी रहेगी। (आर अस राणा बिज़नस भास्कर)
06 अक्तूबर 2009
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