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05 अगस्त 2009

चावल के दाम में तेजी बरकरार रहने के आसार

नई दिल्ली। देश के पश्चिमोत्तर और पूर्वी हिस्से में बारिश की भारी कमी से चावल उत्पादन में कमी का असर कीमतों पर पड़ना शुरू हो गया है। पिछले पंद्रह-बीस दिनों में बासमती की कीमतों में करीब दस फीसदी और गैर-बासमती की कीमतों में करीब 14 फीसदी की तेजी आ चुकी है। कृषि मंत्रालय द्वारा 31 जुलाई को जारी आंकड़ों के मुताबिक धान की बुवाई 65 लाख हैक्टेयर घटी है।दिल्ली स्थित मैसर्स सुल्तानिया एंड संस के राजेश सुल्तानिया ने बताया कि मानसून की कमी से चावल उत्पादन में भारी कमी की आशंका बन गई है। इसीलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली आने से बासमती चावल के दाम बढ़कर 8000-9000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। गैर बासमती में परमल के दाम भी 1450 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1650 रुपये प्रति क्विंटल हो गये हैं। कृषि मंत्रालय द्वारा 31 जुलाई को जारी आंकड़ों के मुताबिक धान का क्षेत्रफल केवल 191.30 लाख हैक्टेयर तक पहुंचा है जो पिछले साल की इसी अवधि से 65.48 लाख हैक्टेयर कम है। ऐसे में चावल उत्पादन पिछले साल के 9.9 करोड़ टन के मुकाबले इस साल घटकर 7.5 करोड़ टन तक आ सकता है। पिछले साल चावल की रिकार्ड खरीद से केंद्रीय पूल में चावल का भरपूर स्टॉक मौजूद है लेकिन उत्पादन में भारी कमी की आशंका से नई फसल के समय चावल की कीमतों में तेजी का रुख ही बना रहने की संभावना है। बारिश में कमी का सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, जम्मू एवं कश्मीर और बिहार में पड़ा है। देश के सबसे बड़े चावल उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में धान का बुवाई क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 48.45 फीसदी घटा है तथा राज्य सरकार 47 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर चुकी है। (Buisness Bhaskar....R S Rana)

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