नई दिल्ली: अगर आप चीनी की कीमतों से त्रस्त हो चुके हैं और सफेद चीनी के आयात की मियाद बढ़ाए जाने के बाद कुछ दिनों में राहत की उम्मीद कर रहे हैं, तो शायद आप बहुत आशावादी हैं। चीनी की कीमतों में आने वाले दिनों में राहत की बात दूर, और इजाफा होने की संभावना बन रही है। इसका कारण एक तो इस साल चीनी का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले आधा रहने का अनुमान है, वहीं दूसरी ओर इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमतों के काफी ऊपर होने से इस बात की संभावना भी कम है कि कारोबारी बड़े पैमाने पर चीनी का आयात कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने देश में साल 2008-09 के सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के लिए चीनी उत्पादन के घटकर 1.5 करोड़ टन पर रहने की आशंका जताई है, जबकि इससे पिछले साल चीनी का उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहा था।
इसके उलट देश में चीनी की कुल मांग 2.25 करोड़ टन है। इस तरह से हर महीने देश में तकरीबन 19-20 लाख टन चीनी की खपत होती है। एंजेल कमोडिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट बदरुद्दीन के मुताबिक, 'हालांकि सरकार अतिरिक्त कोटा रिलीज या सब्सिडी के जरिए कीमतों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करेगी, लेकिन आने वाले वक्त में चीनी की खुदरा कीमत 32 रुपए प्रति किलो तक जा सकती है।' इस वक्त बाजार में चीनी की कीमत 29-30 रुपए प्रति किलो चल रही है। इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चीनी के भाव बढ़कर दोगुने पर चले गए हैं। मौजूदा सीजन की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत 9 सेंट प्रति पौंड थी जो जुलाई में चढ़कर 18.50 सेंट प्रति पौंड के स्तर पर जा पहुंची। अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) के मुताबिक साल 2008-09 के लिए दुनिया भर में चीनी का उत्पादन गिरकर 16.152 करोड़ टन रहने की आशंका जताई जा रही है, इसकी मांग करीब 16.58 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। एक प्रमुख घरेलू चीनी फर्म के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'जिन कंपनियों ने चीनी आयात के सौदे पहले कर लिए हैं, वे तो इसे मंगाएंगे, लेकिन आज की स्थिति में अगर घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें और ऊपर नहीं होती हैं तो इसका आयात करना घाटे का सौदा होगा। इस वक्त आयातित चीनी की कीमत 31 रुपए प्रति किलो पड़ रही है।' अधिकारी के मुताबिक चीनी उत्पादन आईएसओ के अनुमान से कहीं कम 15.4 करोड़ टन रहेगा साथ ही इसकी मांग 15.8 करोड़ टन के करीब रहेगी। (ET Hindi)
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