नई दिल्ली August 03, 2009
दिल्ली में सस्ती दरों पर दालों की खुली बिक्री उम्मीद से 50 फीसदी कम हो रही है।
दालों की खुली बिक्री के लिए दिल्ली दाल मिलर्स एसोसिएशन एवं दिल्ली सरकार के संयुक्त प्रयास से पिछले सप्ताह 80 केंद्र खोले गए। और एक केंद्र से रोजाना मात्र 4-5 क्विंटल दालों की बिक्री हो रही है।
जबकि दाल के थोक कारोबारियों को एक केंद्र से 10 क्विंटल दाल बिकने की उम्मीद थी। थोक कारोबारियों का कहना है कि खुदरा बाजार में दाल की कीमत में गिरावट से उनकी बिक्री प्रभावित हो रही है। हालांकि सस्ती दरों पर दालों की खुली बिक्री सरकार के अगले आदेश तक जारी रहेगी। दूसरी तरफ मुंबई में भी दालों की सस्ती दरों पर बिक्री शुरू हो गयी है।
पिछले सप्ताह शुरू किए गए इन केंद्रों पर अरहर दाल 75 रुपये, मूंग दाल 58 रुपये, उड़द दाल 49 रुपये तो चना दाल 34 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेची जा रही हैं। दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता कहते हैं, 'हमें उम्मीद थी कि एक केंद्र से रोजाना एक किलोग्राम की 1000 थैली दाल की बिक्री होगी। लेकिन सभी केंद्रों पर रोजाना 400-500 थैलियां ही बिक रही हैं।'
उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद खुदरा बाजार में दाल की कीमत में कमी लाना था और इस बिक्री के शुरू होने के बाद खुदरा बाजार में दालों की कीमत में कमी दर्ज की गयी है। सस्ती दरों पर दालों की बिक्री शुरू होने से पहले खुदरा बाजार में अरहर दाल की कीमत 90 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर थी जो कि घटकर 80-82 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गयी है।
कारोबारियों के मुताबिक सरकार की तरफ से दालों की खुली बिक्री को लेकर पर्याप्त प्रचार भी नहीं किया गया है। बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार होने पर सस्ती दालों की बिक्री निश्चित रूप से ज्यादा होती। दूसरी तरफ दाल के निजी आयातकों ने दालों की ऊंची कीमत होने के कारण म्यांमार से दालों का आयात बिल्कुल बंद कर दिया है।
आयातकों का कहना है कि ऊंची कीमत पर सिर्फ सरकार ही दाल का आयात कर सकती है। अरहर दाल की कीमत में स्थायी गिरावट अब नवंबर माह में आने की संभावन है। इस माह में अरहर की नयी फसल बाजार में आ जाएगी। (BS Hindi)
04 अगस्त 2009
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