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03 अगस्त 2009

प्याज से आंसू आने की आशंका देख सरकार ने उठाया कदम

नई दिल्ली- जाड़े का मौसम शुरू होने से पहले घरेलू बाजार में प्याज की तंगी की आशंका को देखते हुए सरकार ने इस अहम कमोडिटी का निर्यात महंगा सौदा बना दिया है। सरकार ने अगस्त के लिए प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में 20 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी कर दी है। प्याज निर्यात से जुड़े मामले देखने वाले नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमने प्याज का एमईपी अगस्त महीने के लिए 20 डॉलर प्रति टन बढ़ाकर औसतन 205-210 डॉलर प्रति टन कर दिया है। यह कदम प्याज की कीमतों पर अंकुश रखने के लिहाज से उठाया गया है क्योंकि भंडार गृहों का माल निर्यात होने से प्याज के दाम अक्टूबर तक बढ़ सकते थे।' मानसून में देर से प्याज बुआई पर प्रभाव पड़ा है और इससे बाजार में खरीफ सीजन की प्याज पहुंचने में देर होगी। इससे अक्टूबर के आसपास कीमतें चढ़ सकती हैं। कारोबारियों ने कहा कि इस वक्त प्याज महंगा होने की कोई वजह नहीं दिख रही है क्योंकि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में इसका अच्छा भंडार मौजूद है लेकिन सितंबर के अंत तक करीब 25 लाख टन भंडार खत्म होने के साथ इसकी कीमतें उपभोक्ताओं के आंसू ला सकती है।
प्याज के थोक भाव में तेजी के संकेत तो दिखने भी शुरू हो गए हैं और 31 जुलाई को देश के सबसे बड़े प्याज कारोबार केन्द लासलगांव में यह 581 रुपए प्रति क्विंटल था। तीन महीने पहले भाव 371 रुपए प्रति क्विंटल था। दिल्ली में इसी अवधि के दौरान कीमतें 680 रुपए प्रति क्विंटल से चढ़कर 760 रुपए हो गई हैं। अधिकारी के मुताबिक खुदरा कारोबारियों ने अन्य कमोडिटी की कीमतों में तेजी को देखते हुए प्याज के दाम भी चढ़ा दिए हैं। राष्ट्रीय राजधानी में प्याज खुले बाजार में 16-17 रुपए प्रति किग्रा. बिक रही है और थोक भाव से इसके अंतर को देखते हुए खुदरा कारोबारी मोटा मार्जिन बटोर रहे हैं। सरकार ने इससे पहले जुलाई के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य 185-190 डॉलर प्रति टन किया था जबकि मई के लिए यह 155-160 डॉलर था। भारत के दक्षिणी राज्यों से प्याज का निर्यात मुख्यत: श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर को होता है जबकि नासिक से यह खाड़ी देशों को भेजी जाती है। (ET Hindi)

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