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04 अगस्त 2009

स्टॉक की कमी से जीरा के भाव में तेजी जारी रहने की संभावना

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश से जीरे का निर्यात 13 फीसदी घट गया है। लेकिन उत्पादक मंडियों में कमजोर स्टॉक और टर्की व सीरिया के जीरे की क्वालिटी हल्की होने के कारण आगामी दिनों में खाड़ी देशों की मांग बढ़ने से जीरे में तेजी के ही आसार हैं। इस समय घरेलू बाजार में जीरे का दस लाख बोरी (एक बोरी 40 किलो) का स्टॉक ही बचा हुआ है जबकि नई फसल आने में अभी करीब पांच-छह महीने का समय शेष है।जीरा व्यापारी कुनाल शाह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि टर्की और सीरिया में जीरे की नई फसल की क्वालिटी हल्की होने के कारण खाड़ी देशों के आयातकों की मांग भारत से पहले की तुलना में बढ़ी है। जिससे हाजिर बाजार में पिछले तीन-चार दिनों में इसकी कीमतों में करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर बढ़िया क्वालिटी के भाव 11,400 से 11,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे के भाव 2150-2200 डॉलर प्रति टन (एफओबी) चल रहे हैं। उधर यूरोप की मांग भी बराबर बनी हुई है। घरेलू मंडियों में स्टॉक कमजोर होने से स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है। ऐसे में आगामी दिनों में जीरे की मौजूदा कीमतों में और भी तेजी के ही आसार हैं।भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश से जीरे का निर्यात 13 फीसदी घटकर 13,200 टन रहा है। पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 15,180 टन का हुआ था। ऊंझा मंडी के जीरा व्यापारी पंकज भाई पटेल ने बताया कि मंडी में जीरे की दैनिक आवक पांच-छह हजार बोरी की हो रही है जबकि दैनिक सौदे 10 से 12 हजार बोरियों के हो रहे हैं। घरेलू मंडियों में इस समय जीरे का मात्र छह लाख बोरियों का स्टॉक बचा हुआ है जबकि करीब तीन से चार लाख बोरी का स्टॉक किसानों के पास है। पिछले साल इस समय मंडियों में ही करीब 12 लाख बोरियों का स्टॉक बचा था। कमजोर स्टॉक और नई फसल आने में पांच-छह महीने का समय शेष होने के कारण ही जीरे की तेजी को बल मिल रहा है। मैसर्स हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि गुजरात में जीरे की बुवाई सितंबर-अक्टूबर महीने में होगी तथा राजस्थान में भी दीपावली के बाद शुरू होगी। नई फसल की आवक जनवरी-फरवरी महीने में बनेगी। अत: नई फसल आने में अभी करीब पांच-छह महीने का समय है। चालू वर्ष में प्रतिकूल मौसम से देश में जीरे का उत्पादन घटकर 20-21 लाख बोरी ही होने की संभावना है। जबकि इसके पिछले साल इसका उत्पादन 26 लाख बोरियों का हुआ था। ऊंझा मंडी में जीरे के भाव 2150-2200 रुपये प्रति बीस किलो चल रहे हैं। (Businss Bhaskar)

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