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01 अगस्त 2009

मध्य प्रदेश में नई कपास की आवक में हो सकती है देरी

इस साल कपास की नई फसल की आवक में देरी होने जा रही है। इसे देखते हुए बाजार में कपास की खरीद में बढ़ोतरी हो गई है। जिसके चलते कपास के दामों में हल्की तेजी आ गई है। आमतौर पर मालवा के सिंचित क्षेत्र में मई के दौरान कपास की बुवाई हो जाती है। इसके लिए बारिश का इंतजार नहीं किया जाता है। इस फसल की सितंबर में आवक शुरू हो जाती है। इस साल सिंचाई के लिए पानी और बिजली के अभाव में किसान मई में कपास की बुवाई नहीं कर पाए है। जिसके चलते इसकी आवक सितंबर में शुरू न होकर एक माह देरी से शुरू हो सकेगी। इसकी आवक अक्टूबर के अंत में शुरू होने के आसार हैं। निमाड़ क्षेत्र में कपास की खेती करने वाले विजय सिंह कहते है कि इस साल बिजली की भारी कटौती होती रही, साथ ही पानी की भी कमी के चलते मई में क्षेत्र के बहुत से किसान कपास की खेती नहीं कर पाए। बाद में बारिश होने पर उन क्षेत्रों में बुवाई की गई। कॉटन कारपोरशन ऑफ इंडिया के मध्य प्रदेश में मुख्य प्रबंधक अतुल काला ने बताया कि प्रारंभिक आंकड़़े बताते हैं कि प्रदेश में कपास के बुवाई क्षेत्रफल में हल्की बढ़ोतरी हो रही है। इसको देखते हुए कपास के उत्पादन में तो कमी होने की संभावना नही है। लेकिन बुवाई में देरी से इसकी आवक एक-डेढ़ महीने पिछड़ सकती है। यद्यपि कुछ जिलों जैसे रतलाम, हरदा, देवास, धार में इसकी बुवाई में कमी आई है। किसान कपास के बजाय सोयाबीन की ओर रुख कर रहे है। इसके उलट खंडवा, खरगोन, बड़वानी और बुरहानपुर में इसका बुवाई क्षेत्रफल बढ़ा है। इस साल प्रदेश में कुल बुवाई क्षेत्रफल स्त्र.8क् लाख हैक्टेयर में होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल कपास की बुवाई स्त्र.भ्म् लाख हैक्टेयर में हुई थी। ट्रेडिंग फर्म मंजीत कॉटन के निदेशक मंजीत कुमार ने बताया कि आवक में देरी की संभावना को देखते हुए मिलों ने कपास की खरीद में बढ़ोतरी की है। पिछले दस दिनों में मिलों की खरीद में भारी बढोतरी हुई है। (Business Bhaskar)

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