नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि सरकार की उदासीनता के चलते ही दाल की कीमतें आसमान छू रही हैं। उन्होंने कोलकाता के खिदिरपुर बंदरगाह पर लाखों टन दाल सड़ने की बात का भी खंडन किया है। लेकिन, आधिकारिक सूत्रों की मानें तो देश के विभिन्न बंदरगाहों पर अब भी लाखों टन दालें और चीनी सड़ रही है। इनकी कीमत 1600 करोड़ रुपये तक बताई जा रही है।
हालांकि इस बारे में जब शुक्रवार को कृषि मंत्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं।' लेकिन, सरकारी सूत्रों का कहना है कि आयातित दालों और कच्ची चीनी का 6.19 लाख टन माल लालफीताशाही के चलते देश के प्रमुख बंदरगाहों पर अटका पड़ा है। इसका आयात करने वाली सरकारी कंपनियों ने या तो माल नहीं उठाया या फिर निरीक्षकों की कमी के कारण उनकी गुणवत्ता का प्रमाण पत्र नहीं जारी किया जा सका। एक आला अधिकारी ने तो यहां तक कहा, 'पता नहीं ये दालें और चीनी खाने योग्य बची भी हैं या नहीं।'
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक म्यांमार व पूर्वी एशिया के अन्य देशों से आयातित करीब 1.36 लाख टन दाल और 4.83 लाख टन कच्ची चीनी पिछले दो महीने से कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, कांडला और कोच्चि के बंदरगाहों पर सड़ रही है। (Jagran)
01 अगस्त 2009
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