नई दिल्ली- सरकार देश में कोल्ड स्टोर चेन कॉरिडोर बनाने की योजना बना रही है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा है कि देश में खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार कोल्ड चेन कॉरिडोर बनाएगी क्योंकि हर साल करीब 50,000 करोड़ रुपए का खाद्यान्न सही देखभाल न होने की वजह से खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी योजना तैयार की जा रही है। सहाय ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। सहाय ने कहा, 'देश के ग्रामीण इलाकों में पांच लाख महिला उद्यमियों को तैयार किया जाना चाहिए। इन लोगों खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना जरूरी है। इससे ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा। साथ ही खाद्य सुरक्षा की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। सरकार 11 वीं पंचवर्षीय योजना में अपने इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को शुरू कर देगी।' सहाय ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में खासतौर पर महिलाओं को इसके लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत है क्योंकि भारतीय महिलाओं को परंपरागत तौर पर खाद्य उत्पादों के प्रसंस्करण की जानकारी होती है।
रेल मंत्रालय ने अपने सालाना बजट में स्टेशनों पर कोल्ड स्टोरेज बनाने का एलान किया है। सहाय के मुताबिक रेलवे के इस कदम से फूड प्रोसेसिंस इंडस्ट्री को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के लिए भूमि चिन्हित करने का काम जारी है। रेलवे मंत्रालय के कोल्ड चेन खोलने के एलान से कारोबारियों को काफी फायदा मिलेगा। साथ ही खराब हो जाने वाले फलों और सब्जियों की दूसरी जगहों पर आपूर्ति भी बेहतर तरीके से हो सकेगी। फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय देश में शोध और विकास (आरएंडडी) पर 100 करोड़ रुपए का खर्च करेगा। पिछले साल सरकार ने फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में 18 आरएंडडी परियोजनाओं को मदद दी थी। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजेश्वर राव के मुताबिक, 'फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में आरएंडडी को बढ़ावा देने के लिए सरकार, उद्योग जगत और वैज्ञानिकों के आपस में मिलकर काम करने की जरूरत है। पैकेजिंग, ग्रेडिंग जैसे क्षेत्रों में इसकी अहम भूमिका होगी।' सरकार का लक्ष्य साल 2015 तक खराब हो जाने वाले खाद्य पदार्थों की फूड प्रोसेसिंग को मौजूदा 10 फीसदी के स्तर से बढ़ाकर 20 फीसदी तक करने का है। देश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का आकार करीब 70 अरब डॉलर का है। सरकार का लक्ष्य साल 2015 तक इसे बढ़ाकर 210 अरब डॉलर पर पहुंचाने का है। (ET Hindi)
01 अगस्त 2009
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