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18 अगस्त 2009

अब रबी का रकबा बढ़ाने की कवायद

लगता है सरकार चालू खरीफ सीजन से आस पूरी तरह छोड़ चुकी है, शायद तभी वह इस सीजन की बुवाई खत्म होने से पहले ही रबी की बुवाई बढा़ने की बात करने लगी है। सोमवार को यहां मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की बेरहमी से पूरे देश में खेती प्रभावित हुई है। इस नुकसान की भरपाई के लिए अब हमें जाड़े की फसलों का रकबा बढ़ाने की योजना बनानी चाहिए। पवार ने कहा कि फिलहाल जरूरत इस बात है कि बड़े डैम में जल स्तर पर नजर रखी जाए और सिंचाई के लिए पानी का बेहतर इस्तेमाल हो। इसके अलावा ऐसे उपाय भी होने चाहिए जिनसे किसानों को रबी की फसल के लिए धन, खाद और बीज आसानी से उपलब्ध हो सके। उन्होंने सभी राज्यों से सूखे और बढ़ती कीमतों पर नजर रखने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को मौजूदा फसल को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत खाद्यान्नों और चीनी की जमाखोरी पर लगाम लगानी चाहिए। मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि सूखे जैसे हालात से घबराने की जरूरत नहीं है। हमने इस तरह की मुसीबतों का पहले भी सामना किया है और आज हम सूखे का सामना करने के लिए अधिक सक्षम हैं। देश के गोदामों में समुचित मात्रा में गेहूं और चावल मौजूद है। सूखे से निपटने के उपायों पर चर्चा करते हुए वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नरेगा जैसे कार्यक्रमों का इस्तेमाल सूखा राहत के तौर पर किया जा सकता है।इस संदर्भ में उन्होंने गुजरात की तारीफ की जहां नरेगा का इस्तेमाल जल भंडार बनाने में किया गया। उन्होंने कहा, हकीकत यही है कि देश में सूखे जैसे हालात बन चुके हैं और मंत्रिसमूह की इसपर लगातार बैठक होती रहेगी। वित्तमंत्री ने कहा कि हमें कम समय में तैयार होने वाली फसलों के विकल्प पर भी सोचना पड़ सकता है। बैठक में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने राज्य में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए 11,670 करोड़ रुपये की सहायता मांगी। उन्होंने सूखा राहत मानकों को बदलने की भी मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि 50 की बजाय 25 फीसदी फसल का नुकसान होने पर राहत की पात्रता होनी चाहिए। (Business Bhaskar)

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