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17 अगस्त 2009

गन्ने के एसएमपी पर बोनस की घोषणा कर सकती है सरकार

चीनी की रिकार्ड तोड़ती कीमतों पर अंकुश के लिए सरकार अब आयात और स्टॉक लिमिट की बैसाखी के बजाय स्थायी हल खोजने में जुट गई है। आगामी पेराई सीजन 2009-10 के लिए सरकार गन्ने के न्यूनतम वैधानिक मूल्य (एसएमपी) पर बोनस देने का मन बना रही है। खाद्य मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक सोमवार को कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार चीनी उद्योग के साथ एक बैठक करने जा रहे हैं। बोनस देने के इरादे के पीछे सरकार का मकसद किसानों को गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए प्रेरित करना बताया जा रहा है।आगामी पेराई सीजन के लिए सरकार ने जून में गन्ने के एसएमपी को चालू पेराई सीजन (2008-09) के 81.16 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 107.76 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और अधिकांश राज्यों में गन्ने की बुवाई पूरी हो चुकी थी। हालांकि, सरकार ने गन्ना किसानों को कोई बहुत बड़ी मूल्य बढ़ोतरी नहीं दी। एसएमपी में बढ़ोतरी के साथ सरकार ने इसके लिए चीनी की रिकवरी के आधार को नौ फीसदी से बढ़ाकर 9.5 फीसदी कर दिया था। पुराने रिकवरी स्तर पर मिलने वाले प्रीमियम के बाद यह बढ़ोतरी दस रुपये प्रति क्विंटल से भी कम बैठती है। यही वजह है कि चालू पेराई सत्र के अंतिम दिनों में किसानों को गन्ने का बेहतर मूल्य मिलने के बावजूद इसके क्षेत्रफल में गिरावट आई है। इसके चलते अगले सीजन में भी चीनी का उत्पादन चालू साल के 150 लाख टन के स्तर पर ही अटकने की आशंका पैदा हो गई है, जबकि देश में मांग 220 लाख टन सालाना के करीब है।खुदरा बाजार में चीनी के दाम इस समय 30 रुपये किलो से ऊपर पहुंच गए हैं। फिलहाल चीनी का आयात कर घरेलू बाजार में बेचने की भी सूरत नजर नहीं आ रही है। हालांकि 25 लाख टन रॉ शुगर के सौदे किए गए हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम इस समय 530 डॉलर प्रति टन के आसपास चल रहे हैं। व्हाइट शुगर के भाव 625 डॉलर प्रति टन के करीब हैं। इस तरह आयातित चीनी खुदरा में 35 रुपये किलो के आसपास बैठेगी। सूत्रों के मुताबिक सरकार को लग रहा है कि नया एसएमपी किसानों को गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए प्रेरित करने में नाकाम रहा है। महाराष्ट्र में अगस्त से अक्टूबर के बीच गन्ने की अगेती बुवाई होती है। सरकार का बोनस देने का कदम वहां इसके क्षेत्रफल में बढ़ोतरी के लिए प्रेरक साबित हो सकता है। जहां तक देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश का सवाल है तो वहां सूखे की स्थिति और क्षेत्रफल में गिरावट का चीनी उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वहां चालू साल के लिए सरकार ने 140 और 145 रुपये प्रति क्विंटल का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय किया था, जबकि हरियाणा सरकार अगले सीजन के लिए पहले ही 165 और 170 रुपये प्रति क्ंिवटल का एसएपी तय कर चुकी है।उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने चालू साल में ही गन्ने के लिए 180 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमत दी थी। ऐसे में सरकार कितना बोनस देगी, यह काफी अहम होगा।एक अन्य अधिकारी के मुताबिक सरकार एसएमपी में बढ़ोतरी के बजाय बोनस का रास्ता इसलिए अख्तियार करना चाहती है क्योंकि एसएमपी में बढ़ोतरी के बाद उसको वापस लेना राजनीतिक रूप से मुश्किल होता है। इसलिए बोनस का रास्ता अपनाना बेहतर है। (Business Bhaskar)

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