नई दिल्ली, 5 अगस्त। स्टॉकिस्टों की भारी बिकवाली व तेल मिलों की लिवाली न होने से सरसों व सरसों तेल में गिरावट का रूख बना हुआ है। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार अमेरिका में मौसम सुघरने व अर्जेंटीना में बिकवाली का दबाव बढ़ने से घरेलू बाजारों में गिरावट को बल मिला है। केएलसीई के साथ-साथ शिकागों में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है जिसके परिणामस्वरूप यहां स्टॉकिस्टों व सटोरियों में घबराहट साफ देखी जा रही है। वर्तमान में जहां सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में वर्षा होने से उत्पादन बढ़ने की संभावना बढ् गई है वहीं अगर अगस्त व सितम्बर माह में अच्छी वर्षा होती है तो रबी में सरसों का बिजाई रकबा बढ़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
पिछले आठ-दस दिनों से दिल्ली की लॉरेंस रोड मण्डी में सरसों के भावों में 200 से 250 रूपये प्रति क्विंटल गिरावट आकर कंडीशन की सरसों के भाव 3050 रूपये प्रति क्विंटल रह गये जबकि इन भावों में भी लिवाली का पूरी तरह से अभाव देखा गया। उघर राजस्थान की अलवर मण्डी में इस दौरान सरसों के भावों में 250 से 300 रूपये प्रति क्विंटल की गिरावट आकर भाव 2925 से 2950 रूपये प्रति क्विंटल रह गये जबकि कच्ची घानी सरसों तेल के भावों में इस दौरान 600 से 700 रूपये प्रति क्विंटल की गिरावट आकर भाव 6500 से 6600 रूपये प्रति क्विंटल बोले गये।
ज्ञात हो चालू सीजन में देश में सरसों उत्पादन का अनुमान 50 लाख टन का लगाया गया था तथा नई फसल के समय करीब 5 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। जानकारों के अनुसार देश में सरसों की सालाना खपत 70 से 72 लाख टन की मानी जाती है। नई फसल की आवकें फरवरी माह के आखिर व मार्च माह के शुरू में बनेगी। नई फसल की आवकें बनने में अभी करीब सात माह का समय शेष है तथा स्टॉकिस्टों के पास इसका स्टॉक भी अब सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। उघर नाफैड के पास भी इस समय सरसों का स्टॉक ना के बराबर है। इन हालातों में भविष्य में इसके भावों में तेजी तो आयेगी, लेकिन अभी जिस तरह से विदेशी बाजारों में मंदे का रूख बना हुआ है उसे देखते हुए सरसों व सरसों तेल के मौजूदा भावों में ओर भी गिरावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।...R S Rana
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1 टिप्पणी:
wah ! Hindi main ek hi jagah itni saari agri related news dekhkar bahut achchha laga . khabron ko nirantar adyatan karte rahiye . keep it up !!!
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