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30 अगस्त 2008

कपास की खेती के मामले में चीन को पछाड़ सकता है भारत


नई दिल्ली August 29, 2008
महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में कपास की उत्पादकता गुजरात के स्तर पर आ जाए तो भारत कपास उत्पादन के क्षेत्र में चीन को भी पछाड़ सकता है। ऐसा कहना है कि कपास से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों का।
वे कहते हैं कि चीन के मुकाबले भारत में कपास की खेती का रकबा काफी अधिक है। लेकिन महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण यहां की उत्पादकता अन्य कपास उत्पादक राज्यों के मुकाबले आधी है। यहां तक कि पाकिस्तान की औसत उत्पादकता भी भारत से अधिक है। वैज्ञानिकों के मुताबिक गुजरात की कपास उत्पादकता 743 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। वही आंध्र प्रदेश की 667 किलोग्राम, तमिलनाडु की 691 किलोग्राम तो पंजाब की 630 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। जबकि मध्य प्रदेश की उत्पादकता 539 किलोग्राम तो महाराष्ट्र की मात्र 320 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।भारत में वर्ष 2007 के दौरान करीब 95 लाख हेक्टेयर जमीन पर कपास की खेती की गयी और इनमें से महाराष्ट्र का योगदान 31.91 लाख हेक्टेयर रहा। यानी कि एक तिहाई हिस्सेदारी महाराष्ट्र की रही। जबकि महाराष्ट्र की उत्पादकता भारत की औसत उत्पादकता 553 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से 233 किलोग्राम कम है। मुंबई के माटुंगा स्थित केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक (वरिष्ठ श्रेणी) चित्रनायक सिन्हा कहते हैं, 'महाराष्ट्र में 60 फीसदी से अधिक क्षेत्र बरसात पर निर्भर है। पानी की कमी से कपास के उत्पादन में गिरावट के साथ उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।वहां के किसानों को अन्य राज्यों के किसानों के मुकाबले काफी कम कीमत पर कपास की बिक्री करनी पड़ती है। इस साल सिर्फ पानी की कमी के कारण कपास उगाने वाले 20 फीसदी किसान सोयाबीन की खेती की ओर मुखातिब हो गए क्योंकि इसकी खेती के लिए अपेक्षाकृत कम पानी की जरूरत होती है।' (Business Standard)

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