मुंबई August 21, 2008 ! केंद्र सरकार 2008-09 के कपास सीजन के लिए इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 40 फीसदी का इजाफा कर सकती है।
ऐसे समय में जब 9 अगस्त को समाप्त हफ्ते में महंगाई की दर 12.63 फीसदी पर पहुंच गई है, एमएसपी बढाने का सरकारी फैसला 45 अरब डॉलर के घरेलू टैक्सटाइल उद्योग के लिए मुसीबत खडी क़र सकता है।
कपड़ा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मध्यम दर्जे की लंबाई बाले कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्तमान में1900 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 2500 रुपये प्रति क्विंटल की जा सकती है। इसी तरह लंबे कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्तमान में 2030 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 3000 रुपये प्रति क्विंटल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि तीन महीने पहले कपास की कीमतें काफी 'सख्त' हो गई थीं, उस हिसाब से कपास का एमएसपी कम लग सकता है। घरेलू बाजार में अक्टूबर 2007 में कपास (शंकर वेरायटी) की कीमत 20 हजार रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी = 356 किलो) थी, जो जुलाई में बढ़कर 28300 रुपये प्रति कैंडी पहुंच गई। इस तरह इसमें 41.5 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया।
कृषि लागत एवं कीमत आयोग कच्चे कपास के दो वेरायटी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है। इसमें पहला है मध्यम दर्जे का कपास जिसकी लंबाई 25 एमएम से 27 एमएम तक होती है जबकि दूसरी वेरायटी की लंबाई 27.5 से 32 एमएम तक होती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का फैसला करते समय कपास उगाने की लागत और इसमें किसानों के मुनाफे का ध्यान रखा जाता है।
2007-08 में देश में 315 लाख बेल्स (एक बेल्स = 170 किलो) कपास का उत्पादन हुआ जबकि इससे एक साल पहले यानी 2006-07 में 280 लाख बेल्स कपास का उत्पादन हुआ था। अमेरिका में कपास की बुआई क्षेत्र में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती मांग के चलते देश से कपास निर्यात में काफी उछाल दर्ज किया गया।
कपास निर्यात का लक्ष्य 85 लाख बेल्स का था, लेकिन यह 1 करोड़ बेलल्स को पार कर गया। यही वजह है कि कपास के वर्तमान सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में कपास की कीमतें इस साल सातवें आसमान पर पहुंच गई। (BS Hindi)
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