नई दिल्ली August 23, 2008
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) इस महीने के आखिर तक लाल सुपारी का वायदा कारोबार शुरू करेगा। एक्सचेंज फिलहाल वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) की अनुमति का इंतजार कर रहा है।
उम्मीद है कि 25 अगस्त यानी सोमवार को उसे मंजूरी मिल जाएगी और इसके तत्काल बाद कारोबार शुरू कर दिया जाएगा। वैसे एमसीएक्स के राडार पर लहसुन और जूट केबोरे का भी वायदा कारोबार है और एक्सचेंज इसका कारोबार शुरू करने की बाबत एफएमसी की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। उम्मीद है कि इन दो जिंसों का वायदा कारोबार अगले महीने शुरू हो जाएगा।
एमसीएक्स के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (बिजनेस डिवेलपमेंट) संजीत प्रसाद ने बताया कि सुपारी के वायदा कारोबार में इसका भाव प्रति किलोग्राम का होगा और ट्रेडिंग लॉट एक टन का होगा। टिक साइज यानी इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव 10 पैसे या इसके गुणक में होगा। यहां राशि 50-50 वेरायटी की सुपारी का वायदा कारोबार होगा। इसका डिलिवरी सेंटर शिमोगा (कर्नाटक) में होगा।
शिमोगा सुपारी की सबसे बड़ी मंडी है और दिल्ली व कानपुर में इस जिंस केसबसे ज्यादा खरीदार हैं। धातु, सर्राफा और एनर्जी में वायदा कारोबार करने वाला एमसीएक्स इन दिनों कृषि जिंसों पर अपना ध्यान केंद्रित करने में लगा है। हाल में एमसीएक्स ने धनिया का वायदा कारोबार शुरू किया था और कारोबारियों ने इसमें जबर्दस्त दिलचस्पी दिखाई थी। हालांकि इस कारोबार केखिलाफ धनिया की सबसे बड़ी मंडी कोटा के कारोबारियों ने एक दिन कारोबार बंद रखा था।
और तो और कृषि जिंस कारोबार में अग्रणी स्थान रखने वाला एनसीडीईएक्स भी धनिया वायदा शुरू करने में एमसीएक्स से पीछे छूट गया था। इस बाबत पूछने पर संजीत प्रसाद ने बताया कि हम वैसे कृषि जिंस पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिनकी कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है। उन्होंने कहा कि हाजिर बाजार में सुपाड़ी की कीमत में रोजाना 2.5-3 फीसदी का उतार-चढ़ाव होता है। ऐसे में इसका वायदा कारोबार करने वाले यहां हेजिंग कर सकेंगे और इस तरह अपनी जोखिम के लिए कवच तैयार कर पाएंगे। फिलहाल हाजिर बाजार में सुपारी की कीमत 110-112 रुपये प्रति किलो है।
क्या एनसीडीईएक्स भी सुपारी का वायदा कारोबार शुरू करने की तैयार कर रहा है, एक्सचेंज के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे जिंस में हमारी दिलचस्पी नहीं है। चाहे सुपारी हो या फिर लहसुन। एमसीएक्स के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में करीब 7.5 लाख टन सुपारी का उत्पादन होता है और इसमें भारत का हिस्सा 55 से 60 फीसदी का है।
भारत में 50 से 60 हजार टन सुपारी का आयात होता है और पूरा माल इंडोनेशिया के बाजार से आता है। कर्नाटक इसका मुख्य उत्पादक है। पूर्वोत्तर के असम में भी सुपारी की पैदावार होती है। अक्टूबर में सुपारी की नई फसल बाजार में आनी शुरू होती है और नवंबर-दिसंबर इस उत्पाद का पीक सीजन होता है। इसकी ज्यादातर खपत पान और गुटखा उद्योग में होता है। पूजन सामग्री के रूप में भी 'पुंगीफलम' का थोड़ा बहुत इस्तेमाल होता है। (BS Hindi)
23 अगस्त 2008
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